साम
From जैनकोष
राजाओं की प्रयोजन सिद्धि के चार कारणों-साम, दान, दंड और भेद, में प्रथम कारण-प्रिय तथा हितकारी वचनों द्वारा विरोधी को अपना बनाना । महापुराण 68.62-63, हरिवंशपुराण - 50.18
राजाओं की प्रयोजन सिद्धि के चार कारणों-साम, दान, दंड और भेद, में प्रथम कारण-प्रिय तथा हितकारी वचनों द्वारा विरोधी को अपना बनाना । महापुराण 68.62-63, हरिवंशपुराण - 50.18