साम्राज्यक्रिया
From जैनकोष
(1) गृहस्थ का गर्भ से निर्वाण पर्यंत त्रेपन क्रियाओं में सैंतालीसवीं क्रिया-प्रजापालन की रीतियों के विषय में अन्य राजाओं को शिक्षा देना तथा योग और क्षेम का बार-बार चिंतन और पालन करते हुए साम्राज्य की उपलब्धि करना । महापुराण 38.62, 264
(2) सात कर्त्रन्वय क्रियाओं में पाँचवीं क्रिया । इसमें चक्ररत्न के साथ-साथ निधियों और रत्नों से उत्पन्न हुए भोगोपभोगों की प्राप्ति होती है । महापुराण 39.202