सूत्रपाहुड गाथा 13
From जैनकोष
आगे कहते हैं कि जो दिगम्बरमुद्रा सिवाय कोई वस्त्र धारण करे, सम्यग्दर्शन ज्ञान से युक्त हों वे इच्छाकार करने योग्य हैं -
अवसेसा जे लिंगी दंसणणाणेण सम्म संजुत्ता ।
चेलेण य परिगहिया ते भणिया इच्छणिज्जा य ।।१३।।
अवशेषा ये लिंगिन: दर्शनज्ञानेन सम्यक् संयुक्ता: ।
चेलेन च परिगृहीता: ते भणिता इच्छाकारयोग्या: ।।१३।।
अवशेष लिंगी वे गृही जो ज्ञान दर्शन युक्त हैं ।
शुभ वस्त्र से संयुक्त इच्छाकार के वे योग्य हैं ।।१३।।
अर्थ - दिगम्बरमुद्रा सिवाय जो अवशेष लिंगी भेष संयुक्त और सम्यक्त्व सहित दर्शन ज्ञान संयुक्त हैं तथा वस्त्र से परिगृहीत हैं, वस्त्र धारण करते हैं वे इच्छाकार करने योग्य हैं ।
भावार्थ - जो सम्यग्दर्शन ज्ञान संयुक्त हैं और उत्कृष्ट श्रावक का भेष धारण करते हैं, एक वस्त्र मात्र परिग्रह रखते हैं, वे इच्छाकार करने योग्य हैं, इसलिए `इच्छामि' इसप्रकार कहते हैं । इसका अर्थ हैे कि मैं आपको इच्छू हूँ, चाहता हूँ ऐसा `इच्छामि' शब्द का अर्थ है । इसप्रकार से इच्छाकार करना जिनसूत्र में कहा है ।।१३।।