सोपक्रमकाल
From जैनकोष
गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/266/582/2तत्स्थिते: सोपक्रमकाल: अनुपक्रमकालश्चेति द्वौ भंगौ भवत:।=उनकी स्थिति (काल) के दोय भाग हैं—एक सोपक्रम काल, एक अनुपक्रम काल।
गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/266/582/2 उपक्रम: तत्सहित: काल: सोपक्रमकाल: निरंतरोत्पत्तिकाल इत्यर्थ:।...अनुपक्रमकाल: उत्पत्तिरहित: काल:।=उपक्रम कहिए उत्पत्ति तोंहि सहित जो काल सो सोपक्रम काल कहिए सो आवली के असंख्यातवें भाग मात्र है।...बहुरि जो उत्पत्ति रहित काल होइ सो अनुपक्रम काल कहिए।
अधिक जानकारी के लिये देखें काल - 1.6।