स्वक्षेत्र
From जैनकोष
राजवार्तिक/ हिंदी/1/6/49
देह प्रमाण संकोच विस्तार लिये (जीव प्रदेश) क्षेत्र हैं।
राजवार्तिक/ हिंदी/9/7/672
जन्म योनि के भेद करि (जीव) लोक में उपजै, लोक कूं स्पर्शे सो परक्षेत्र संसार है।
अधिक जानकारी के लिये देखें क्षेत्र - 1.8।