स्वार्थानुमान
From जैनकोष
स्याद्वादमंजरी श्लोक 28/322/2 तत्रांयथानुपपत्त्येकलक्षणहेतुग्रहणसंबंधस्मरणकारणकं साध्यविज्ञानं स्वार्थम्।
= अन्यथानुपपत्ति रूप एक लक्षण वाले हेतु को ग्रहण करने के संबंध के स्मरण पूर्वक साध्य के ज्ञान को स्वार्थानुमान कहते हैं। ( स्याद्वादमंजरी श्लोक 20/256/13)
अधिक जानकारी के लिये देखें अनुमान - 1।