GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 110 - समय-व्याख्या - हिंदी
From जैनकोष
यह, पृथ्वीकायिक आदि पाँच (-पंचविध) जीवों के एकेन्द्रियपने का नियम है ।
पृथ्वीकायिक आदि जीव, स्पर्शनेन्द्रिय के (भाव-स्पर्शनेन्द्रिय के) आवरण के क्षयोपशम के कारण तथा शेष इंद्रियों के (चार भावेन्द्रियों के) आवरण का उदय तथा मन के (भाव-मन के) आवरण का उदय होने से, मन रहित एकेन्द्रिय है ॥११०॥