GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 114 - समय-व्याख्या - हिंदी
From जैनकोष
यह, चतुरिंद्रिय जीवों के प्रकार की सूचना है ।
स्पर्शनेन्द्रिय, रसनेन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय और चक्षुरिन्द्रिय के आवरण के क्षयोपशम के कारण तथा श्रोत्रेन्द्रिय के आवरण का उदय तथा मन के आवरण का उदय होने से स्पर्श,रस, गन्ध और वर्ण को जानने वाले यह (डाँस आदि) जीव मनरहित चतुरिंद्रिय जीव हैं ॥११४॥