GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 123 - अर्थ
From जैनकोष
जिसके सदैव सुख-दु:ख का ज्ञान, हित के लिए उद्यम / प्रयास, अहित से भय नहीं है; उसे श्रमण अजीव कहते हैं ।
जिसके सदैव सुख-दु:ख का ज्ञान, हित के लिए उद्यम / प्रयास, अहित से भय नहीं है; उसे श्रमण अजीव कहते हैं ।