GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 140 - अर्थ
From जैनकोष
सुख-दुःख में सम-भावी जिन भिक्षु / मुनि के सभी द्रव्यों में राग, द्वेष, मोह नहीं है; उन्हें शुभ-अशुभ का आस्रव नहीं होता है ।
सुख-दुःख में सम-भावी जिन भिक्षु / मुनि के सभी द्रव्यों में राग, द्वेष, मोह नहीं है; उन्हें शुभ-अशुभ का आस्रव नहीं होता है ।