GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 14 - अर्थ
From जैनकोष
द्रव्य वास्तव में आदेश / कथन के वश से स्यात् अस्ति, स्यात् नास्ति, उभय / स्यात अस्ति-नास्ति, स्यात् अवक्तव्य तथा पुन: उन तीनों रूप अर्थात् स्यात् अस्ति अवक्तव्य, स्यात् नास्ति अवक्तव्य और स्यात् अस्ति-नास्ति अवक्तव्य -- इसप्रकार सात भंगरूप है।