GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 150 - अर्थ
From जैनकोष
स्वभाव सहित साधु के दर्शन-ज्ञान से परिपूर्ण, अन्य द्रव्यों से संयुक्त नहीं होने वाला ध्यान निर्जरा का हेतु होता है ।
स्वभाव सहित साधु के दर्शन-ज्ञान से परिपूर्ण, अन्य द्रव्यों से संयुक्त नहीं होने वाला ध्यान निर्जरा का हेतु होता है ।