GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 84 - अर्थ
From जैनकोष
जैसे लोक में जल मछलियों के गमन में अनुग्रह करता है; उसीप्रकार धर्मद्रव्य जीव-पुद्गलों के गमन में अनुग्रह करता है ऐसा जानो।
जैसे लोक में जल मछलियों के गमन में अनुग्रह करता है; उसीप्रकार धर्मद्रव्य जीव-पुद्गलों के गमन में अनुग्रह करता है ऐसा जानो।