GP:प्रवचनसार - गाथा 102 - अर्थ
From जैनकोष
द्रव्य एक ही समय में उत्पाद-व्यय और धौव्य नामक अर्थों के साथ वास्तव में तादात्म्य सहित संयुक्त (एकमेक) है, इसलिये यह (उत्पादादि) त्रितय वास्तव में द्रव्य है ।
द्रव्य एक ही समय में उत्पाद-व्यय और धौव्य नामक अर्थों के साथ वास्तव में तादात्म्य सहित संयुक्त (एकमेक) है, इसलिये यह (उत्पादादि) त्रितय वास्तव में द्रव्य है ।