GP:प्रवचनसार - गाथा 103 - अर्थ
From जैनकोष
द्रव्य की अन्य पर्याय उत्पन्न होती है और कोई अन्य पर्याय नष्ट होती है, फिर भी द्रव्य न तो नष्ट होता है और न उत्पन्न होता है ।
द्रव्य की अन्य पर्याय उत्पन्न होती है और कोई अन्य पर्याय नष्ट होती है, फिर भी द्रव्य न तो नष्ट होता है और न उत्पन्न होता है ।