GP:प्रवचनसार - गाथा 105 - अर्थ
From जैनकोष
यदि द्रव्य सत् नहीं होगा, तो निश्चित असत् होगा और जो असत् होगा, वह द्रव्य कैसे होगा? और यदि वह सत्ता से भिन्न है, तो भी द्रव्य कैसे होगा; इसलिये द्रव्य स्वयं ही सत्ता है ।
यदि द्रव्य सत् नहीं होगा, तो निश्चित असत् होगा और जो असत् होगा, वह द्रव्य कैसे होगा? और यदि वह सत्ता से भिन्न है, तो भी द्रव्य कैसे होगा; इसलिये द्रव्य स्वयं ही सत्ता है ।