GP:प्रवचनसार - गाथा 10 - अर्थ
From जैनकोष
[इह] इस लोक में [परिणामं विना] परिणाम के बिना [अर्थ: नास्ति] पदार्थ नहीं है, [अर्थं विना] पदार्थ के बिना [परिणाम:] परिणाम नहीं है; [अर्थ:] पदार्थ [द्रव्यगुणपर्ययस्थ:] द्रव्य-गुण-पर्याय में रहने-वाला और [अस्तित्वनिर्वृत्त:] (उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य-मय) अस्तित्व से बना हुआ है ॥१०॥