GP:प्रवचनसार - गाथा 112 - तात्पर्य-वृत्ति - हिंदी
From जैनकोष
[जीवो] जीवरूपी कर्ता (कर्ताकारक में प्रयुक्त जीव) [भवं] परिणमित होता हुआ [भविस्सदि] होगा । परिणमित होता हुआ जीव क्या-क्या होगा? विकार रहित शुद्धोपयोग से विलक्षण शुभाशुभ उपयोगरूप से परिणमन कर [णरोऽमरो वा परो] मनुष्य, देव और अन्य तिर्यंच, नारकी रूप अथवा पूर्ण विकार रहित शुद्धोपयोग से सिद्ध होगा । [भवीय पुणो] इसप्रकार पहले कहे हुये मनुष्यादि रूप होकर भी ।
अथवा दूसरा व्याख्यान -
- होता हुआ- वर्तमानकाल की अपेक्षा से,
- होगा- भविष्यकाल की अपेक्षा से, और
- होकर- भूतकाल की अपेक्षा से-