GP:प्रवचनसार - गाथा 119 - अर्थ
From जैनकोष
[क्षणभङ्गसमुद्भवे जने] प्रतिक्षण उत्पाद और विनाशवाले जीवलोक में [कश्चित्] कोई [न एव जायते] उत्पन्न नहीं होता और [न नश्यति] न नष्ट होता है; [हि] क्योंकि [यः भवः सः विलयः] जो उत्पाद है वही विनाश है; [संभव-विलयौ इति तौ नाना] और उत्पाद तथा विनाश, इसप्रकार वे अनेक (भिन्न) भी हैं ।