GP:प्रवचनसार - गाथा 141 - अर्थ
From जैनकोष
[द्रव्याणां च] द्रव्यों के [एक:] एक, [द्वौ] दो, [बहव:] बहुत से, [संख्यातीता:] असंख्य, [वा] अथवा [ततः अनन्ता: च] अनन्त [प्रदेशा:] प्रदेश [सन्ति हि] हैं । [कालस्य] काल से [समया: इति] समय हैं ॥
[द्रव्याणां च] द्रव्यों के [एक:] एक, [द्वौ] दो, [बहव:] बहुत से, [संख्यातीता:] असंख्य, [वा] अथवा [ततः अनन्ता: च] अनन्त [प्रदेशा:] प्रदेश [सन्ति हि] हैं । [कालस्य] काल से [समया: इति] समय हैं ॥