GP:प्रवचनसार - गाथा 146.1 - तात्पर्य-वृत्ति - हिंदी
From जैनकोष
पाँच प्रकार के इन्द्रिय प्राण, तीन प्रकार के बल प्राण और एक स्वासोच्छ्वास और एक आयु प्राण- इस प्रकार भेद से दस प्राण हैं; वे भी निश्चय से ज्ञानानन्द एक स्वभावी परमात्मा से भिन्न जानना चाहिये - ऐसा अभिप्राय है ॥१५८॥