GP:प्रवचनसार - गाथा 164 - अर्थ
From जैनकोष
[अणो:] परमाणु के [परिणामात्] परिणमन के कारण [एकादि] एक से (एक अविभाग प्रतिच्छेद से) लेकर [एकोत्तरं] एक-एक बढ़ते हुए [यावत्] जब तक [अनन्तत्वम् अनुभवति] अनन्तपने को (अनन्त अविभागी प्रतिच्छेदत्व को) प्राप्त हो तब तक [स्निग्धत्वं वा रूक्षत्वं] स्निग्धत्व अथवा रूक्षत्व होता है ऐसा [भणितम्] (जिनेन्द्रदेव ने) कहा है ।