GP:प्रवचनसार - गाथा 224.3 - तात्पर्य-वृत्ति - हिंदी
From जैनकोष
[पइडीपमादमइया] प्रकृति अर्थात् स्वभाव से प्रमाद से रची हुई प्रमादमयी है । कौन करने वाली प्रमादमयी है? [एदासिं वित्ति] इन स्त्रियों की वृत्ति-परिणति प्रमादमयी है । [भासिया पमदा] इसलिये नाममाला में प्रमदा-प्रमदा नाम स्त्रियों का कहा गया है । [तम्हा ताओ पमदा] इसलिये ही उन स्त्रियों की प्रमाद संज्ञा है, इस कारण से ही वे [पमादबहुला त्ति णिद्दिट्ठा] प्रमाद रहित परमात्मतत्व की भावना को नष्ट करनेवाली प्रमाद बहुला कही गई हैं ॥२४६॥