GP:प्रवचनसार - गाथा 224.8 - अर्थ
From जैनकोष
यदि स्त्री सम्यग्दर्शन से शुद्ध हो, आगम के अध्ययन से भी सहित हो तथा घोर चारित्र का भी आचरण करती हो, तो भी स्त्री के (सम्पूर्ण कर्मों की) निर्जरा नहीं कही गई है ॥२५१॥
यदि स्त्री सम्यग्दर्शन से शुद्ध हो, आगम के अध्ययन से भी सहित हो तथा घोर चारित्र का भी आचरण करती हो, तो भी स्त्री के (सम्पूर्ण कर्मों की) निर्जरा नहीं कही गई है ॥२५१॥