GP:प्रवचनसार - गाथा 239 - तात्पर्य-वृत्ति - हिंदी
From जैनकोष
[परमाणु पमाणं वा मुच्छा देहादिएसु जस्स पुणो विज्जदि जदि] तथा शरीर आदि विषयों में जिस पुरुष के परमाणुमात्र (अत्यल्प) भी ममत्व यदि पाया जाता है, तो [सो सिद्धिं ण लहदि] वह मुक्ति प्राप्त नहीं करता है । परमाणु मात्र ममत्व वाला वह कैसा हो? [सव्वागमधरो वि] सम्पूर्ण आगम को धारण करने वाला (आगम-ज्ञानी) होने पर भी वह मुक्ति प्राप्त नहीं करता है ।
यहाँ अर्थ यह है- सम्पूर्ण आगमज्ञान तत्त्वार्थ-श्रद्धान और संयतत्व की युगपतता होने पर भी जिसके शरीरादि के सम्बन्ध में थोड़ा भी ममत्व (एकत्व-ममत्व आदि विपरीत भाव) पाया जाता है, उसके पहले (२७२ वीं) गाथा में कहा गया निर्विकल्प समाधि लक्षण निश्चय रत्नत्रय स्वरूप स्वसंवेदन ज्ञान नहीं है ॥२७३॥
इसप्रकार भेदाभेद रत्नत्रय स्वरूप मोक्षमार्ग के स्थापन की मुख्यता से, दूसरे स्थल में चार गाथायें पूर्ण हुई । विशेष यह है कि बहिरात्मदशा, अन्तरात्मदशा और परमात्मारूप मोक्ष दशा- ये तीन दशायें हैं । इन तीन दशाओं में, इनका अनुसरण करनेवाला- इनरूप आकार वाला द्रव्य रहता है । इसप्रकार परस्पर की अपेक्षा सहित, द्रव्य-पर्याय स्वरूप जीव पदार्थ है । उसमें मोक्ष के कारण का विचार करते हैं -
पहली मिथ्यात्व रागादिरूप बहिरात्मादशा अशुद्धदशा है, वह मोक्ष की कारण नहीं है । तथा मोक्षदशा शुद्ध फलभूत है, वह आगे प्रगट होती है । इन दोनों से भिन्न जो अन्तरात्मा दशा है, वह मिथ्यात्व-रागादि से रहित होने के कारण शुद्ध है । जैसे सूक्ष्म निगोत-निगोदिया जीव के ज्ञान में, शेष आवरण होने पर भी क्षयोपशम ज्ञानावरण (पर्याय ज्ञान नामक क्षयोपशम ज्ञानावरण) नहीं है, वैसे यहाँ भी केवलज्ञानावरण होने पर भी एक देश क्षयोपशम ज्ञान की अपेक्षा, आवरण नहीं है । जितने अंशों में आवरण रहित और रागादि से रहित होने के कारण शुद्ध है, उतने अंशों में मोक्ष का कारण है ।
वहाँ शुद्ध पारिणामिक भावरूप परमात्मद्रव्य ध्येय है, और वह उस अन्तरात्मारूप ध्यान दशा विशेष से कथंचित् भिन्न है । यदि वह एकान्त से उससे अभिन्न हो, तो मोक्ष में भी ध्यान प्राप्त होता है, अथवा इस ध्यान पर्याय का विनाश होने पर परम पारिणामिक भाव का भी विनाश प्राप्त होता है ।
इसप्रकार बहिरात्मा, अन्तरात्मा और परमात्मा के कथनरूप से मोक्षमार्ग जानना चाहिये ॥२७३॥
(अब चार गाथाओं में निबद्ध द्रव्य-भाव संयम के कथनरूप तीसरा स्थल प्रारम्भ होता है ।)