GP:प्रवचनसार - गाथा 248 - तत्त्व-प्रदीपिका - हिंदी
From जैनकोष
अब, ऐसा प्रतिपादन करते हैं कि शुभोपयोगियों के ही ऐसी प्रवृत्तियाँ होती हैं :-
अनुग्रह करने की इच्छापूर्वक
- दर्शनज्ञान के उपदेश की प्रवृत्ति,
- शिष्यग्रहण की प्रवृत्ति,
- उनके पोषण की प्रवृत्ति और
- जिनेन्द्रपूजन के उपदेश की प्रवृत्ति