GP:प्रवचनसार - गाथा 251 - अर्थ
From जैनकोष
[यद्यपि अल्प: लेप:] यद्यपि अल्प लेप होता है तथापि [साकारनाकारचर्यायुक्तानाम्] साकार-अनाकार चर्यायुक्त [जैनानां] जैनों का [अनुकम्पया] अनुकम्पा से [निरपेक्षं] निरपेक्षतया [उपकार करोतु] (शुभोपयोग से) उपकार करो ।