GP:प्रवचनसार - गाथा 253 - अर्थ
From जैनकोष
[वा] और [ग्लानगुरुबालवृद्धश्रमणानाम्] रोगी, गुरु (पूज्य, बड़े), बाल तथा वृद्ध श्रमणों की [वैयावृत्यनिमित्तं] सेवा के निमित्त से, [शुभोपयुता] शुभोपयोगयुक्त [लौकिकजनसंभाषा] लौकिक जनों के साथ की बातचीत [न निन्दिता] निन्दित नहीं है ।