GP:प्रवचनसार - गाथा 258 - अर्थ
From जैनकोष
[यदि वा] जबकि [ते विषयकषाया:] वे विषयकषाय [पापम्] पाप हैं [इति] इस प्रकार [शास्त्रेषु] शास्त्रों में [प्ररूपिता:] प्ररूपित किया गया है, तो [तवतिबद्धा:] उनमें प्रतिबद्ध (विषय-कषायों में लीन) [ते पुरुषा:] वे पुरुष [निस्तारका:] निस्तारक (पार लगाने वाले) [कथं भवन्ति] कैसे हो सकते हैं?