GP:प्रवचनसार - गाथा 275 - अर्थ
From जैनकोष
[यः] जो [साकारानाकारचर्यया युक्त:] साकार-अनाकार चर्या से युक्त वर्तता हुआ (एतत् शासनं) इस उपदेश को [बुध्यते] जानता है, [सः] वह [लघुना कालेन] अल्प काल में ही [प्रवचनसारं] प्रवचन के सार को (भगवान आत्मा को) [प्राप्नोति] पाता है ।