GP:रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 107 - टीका हिंदी
From जैनकोष
उपवास करने वाले व्यक्ति को उपवास के दिन हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील और परिग्रह इन पाँच पापों का त्याग करना चाहिए । तथा शरीर-सज्जा, वाणिज्यादि व्यापार, गन्धपुष्प आदि के प्रयोग का और स्नान, अञ्जन, नस्यादि के सेवन का त्याग करना चाहिए । यह सब उपलक्षण हैं, अत: इसमें गीत, नृत्यादि राग के सभी कारणों का त्याग भी आ जाता है ।