GP:रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 109 - टीका हिंदी
From जैनकोष
आहार चार प्रकार का है- अशन, पान, खाद्य, लेह्य। भात, मूंग आदि अशन कहलाते हैं । छाछ आदि पीने योग्य वस्तु पेय कहलाती है । लड्डू आदि खाद्य हैं । रबड़ी आदि चाटने योग्य पदार्थ लेह्य हैं । इन चारों प्रकार के आहार का त्याग करना उपवास कहलाता है । एक बार भोजन करने को प्रोषध कहते हैं । धारणा के दिन एकाशन और पर्व के दिन उपवास करना पुन: पारणा के दिन एकाशन करना प्रोषधोपवास कहलाता है ।