GP:रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 131 - टीका हिंदी
From जैनकोष
निर्वाण / मोक्ष को नि:श्रेयस कहते हैं । वहाँ पर शुद्ध सुख प्राप्त होता है, क्योंकि प्रतिपक्षी कर्मों का अभाव है । वह सुख नित्य अविनश्वर स्वरूप है तथा जन्म, बुढ़ापा, रोग और मरण से, शोक—दु:ख भयों से सर्वथा रहित है । एक पर्याय से दूसरी पर्याय की प्राप्ति को जन्म कहते हैं । बुढ़ापा को जरा कहते हैं । रोग को आमय कहते हैं । शरीर का छूटना मरण कहा जाता है । शोक, दु:ख, भय का अर्थ स्पष्ट ही है ।