GP:रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 135 - टीका हिंदी
From जैनकोष
सल्लेखना धारण करने से उपार्जित हुआ विशिष्ट पुण्यरूप समीचीन धर्म उस आश्चर्यकारी अभ्युदय-इन्द्रादिकरूप फल को देता है, जो बल, परिजन, काम तथा भोगों से परिपूर्ण पूजा, अर्थ, आज्ञारूप ऐश्वर्य के द्वारा समस्त लोक को अभिभूत करता है ।