GP:रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 22 - उत्थानिका अर्थ
From जैनकोष
कैसा सम्यग्दर्शन संसार के उच्छेद का कारण होता है? यह बतलाने के लिए कहा जाता है 'त्रिमूढापोढं' तीन प्रकार की मूढताओं से रहित। उन मूढताओं में प्रथम लोकमूढता को कहते हैं-
कैसा सम्यग्दर्शन संसार के उच्छेद का कारण होता है? यह बतलाने के लिए कहा जाता है 'त्रिमूढापोढं' तीन प्रकार की मूढताओं से रहित। उन मूढताओं में प्रथम लोकमूढता को कहते हैं-