GP:रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 29 - उत्थानिका अर्थ
From जैनकोष
अभी तक एक धर्म के ही विविध फलों को प्रकाशित किया, अब यहाँ धर्म और अधर्म दोनों का फल एक ही श्लोक में यथाक्रम से दिखलाते हुए कहते हैं-
अभी तक एक धर्म के ही विविध फलों को प्रकाशित किया, अब यहाँ धर्म और अधर्म दोनों का फल एक ही श्लोक में यथाक्रम से दिखलाते हुए कहते हैं-