GP:रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 2 - उत्थानिका अर्थ
From जैनकोष
अब नमस्कार करने के बाद समन्तभद्रस्वामी ग्रन्थ करने की प्रतिज्ञा करते हुए धर्म का निरुक्त अर्थ बतलाते हैं ।
अब नमस्कार करने के बाद समन्तभद्रस्वामी ग्रन्थ करने की प्रतिज्ञा करते हुए धर्म का निरुक्त अर्थ बतलाते हैं ।