GP:रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 31 - उत्थानिका अर्थ
From जैनकोष
यहाँ कोई प्रश्न करता है कि मोक्षमार्ग तो रत्नत्रयरूप है, फिर सबसे पहले सम्यग्दर्शन का ही स्वरूप क्यों कहा गया ? इसका उत्तर देते हैं-
यहाँ कोई प्रश्न करता है कि मोक्षमार्ग तो रत्नत्रयरूप है, फिर सबसे पहले सम्यग्दर्शन का ही स्वरूप क्यों कहा गया ? इसका उत्तर देते हैं-