GP:रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 32 - उत्थानिका अर्थ
From जैनकोष
यहाँ कोई प्रश्न करता है कि सम्यग्दर्शन की उत्कृष्टता सिद्ध होने पर उसमे कर्णधारपना सिद्ध होता है, परन्तु वह उत्कृष्टता किससे सिद्ध होती है ? इसके उत्तर में कहते हैं-
यहाँ कोई प्रश्न करता है कि सम्यग्दर्शन की उत्कृष्टता सिद्ध होने पर उसमे कर्णधारपना सिद्ध होता है, परन्तु वह उत्कृष्टता किससे सिद्ध होती है ? इसके उत्तर में कहते हैं-