GP:रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 69 - टीका हिंदी
From जैनकोष
मकराकर समुद्र को कहते हैं । सरित्- गंगा, सिन्धु आदि नदियाँ। अटवी- दण्डकवन आदि सघन जंगल को कहते हैं । गिरि का अर्थ पर्वत है, जैसे सह्याचल, विन्ध्याचल आदि । जनपद का अर्थ देश है, जैसे- वराट, वापीतट आदि देश । और योजन का अर्थ बीस योजन, तीस योजन आदि। व्रत देने वाले और व्रत लेने वालों को जिसका परिचय हो, उन्हें प्रसिद्ध कहते हैं । पूर्वादि दशों दिशाओं सम्बन्धी सीमा निश्चित करने के लिए समुद्र, नदी, जंगल, देश और योजन आदि को मर्यादा रूप से स्वीकार किया है ।