GP:रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 80 - टीका हिंदी
From जैनकोष
प्रमादचर्या का प्रतिपादन करते हैं, तद्यथा -- निष्प्रयोजन पृथ्वी को खोदना, पानी छिडक़ना, अग्रि जलाना, हवा करना, निष्कारण फल-फूलादि वनस्पति को तोडऩा, इतना ही नहीं किन्तु निष्प्रयोजन स्वयं घूमना और दूसरों को घुमाना, यह सब प्रमादचर्या नामक अनर्थदण्ड है । इससे निवृत्त होना प्रमादचर्या अनर्थदण्डव्रत हैं ।