GP:रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 97 - टीका हिंदी
From जैनकोष
निश्चित समय की अवधि तक पंच पापों का पूर्णरूप से त्याग करने को गणधरदेवादि ने सामायिक नामक शिक्षाव्रत कहा है । देशावकाशिक व्रत में मर्यादा के बाहर क्षेत्र में पंच पापों का पूर्णरूप से त्याग होता है। किन्तु सामायिक शिक्षाव्रत में मर्यादा के भीतर-बाहर दोनों ही क्षेत्रों में पंच पापों का पूर्ण त्याग होता है, इस प्रकार से देशावकाशिक की अपेक्षा सामायिक शिक्षाव्रत में कहा गया है ।