अनरण्य
From जैनकोष
विनीता (अयोध्या) नगरी का राजा, रघु का पुत्र । लोगों की निवासभूमि बनाकर देश को अरण्य रहित करने के कारण यह इस नाम से विख्यात हुआ । इसकी महादेवी पृथ्वीमती (अपरनाम सुमंगला) थी । उससे अनंतरथ और दशरथ नाम के इसके दो पुत्र हुए थे । माहिष्मती का राजा सहस्ररश्मि इसका मित्र था । पद्मपुराण - 22.160-163, 28, 158 यह और इसका मित्र वचनबद्ध थे कि जो पहले दीक्षित हो वह दूसरे को अवश्य सूचित करे । प्रतिज्ञानुसार सहस्ररश्मि से उसके दीक्षित होने की सूचना पाते ही इसने अपने एक मास के पुत्र दशरथ को राज्य सौंप दिया और बड़े पुत्र अनंतरथ सहित दीक्षित होकर इसने मोक्ष पद प्राप्त किया । पद्मपुराण - 10.169-176,पद्मपुराण - 22.166-168