अनाभोग क्रिया
From जैनकोष
सर्वार्थसिद्धि/6/5/321-323/11 पंचविंशति: क्रिया उच्यंते-....अप्रमृष्टादृष्टभूमौ कायादिनिक्षेपोऽनाभोगक्रिया। .... =(श्रावकों की 25 क्रियाओं में से एक क्रिया) प्रमार्जन और अवलोकन नहीं की गयी भूमि पर शरीर आदि का रखना अनाभोगक्रिया है।
- देखें क्रिया - 3.2।