अनावृत
From जैनकोष
जंबूद्वीप का रक्षक एक यक्ष । इसने जंबू स्वामी की कथा सुनकर आनंद नामक नाटक किया था । पूर्वभव में यह जंबूस्वामी के वंश में हुए एक धर्मप्रिय सेठ और उसकी पत्नी गुणदेवी का अर्हद्दास नाम का पुत्र था, महापुराण 76.121-127, हरिवंशपुराण - 5.637 जंबू वृक्ष पर निर्मित भवन का वासी यह देव किल्विषक जाति के सैकड़ों देवों से आवृत रहता है । इसने दशानन आदि तीनों भाइयों की विद्यासिद्धि में विभिन्न रूपों से उपद्रव किये थे तथा विद्या की सिद्धि होने पर उनको अर्चा भी की थी । पद्मपुराण - 3.48, 7.237-312, 336