अपर्याप्तक
From जैनकोष
घटीयंत्र के समान निरंतर भ्रमणशील ऐसा जीव जो अपनी पर्याप्तियों को पूरा नहीं कर पाता । महापुराण 17.24, पद्मपुराण - 105.145-146
घटीयंत्र के समान निरंतर भ्रमणशील ऐसा जीव जो अपनी पर्याप्तियों को पूरा नहीं कर पाता । महापुराण 17.24, पद्मपुराण - 105.145-146