अभिषेक
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
वसति विषयक एक दोष-देखें वसतिका ।
पुराणकोष से
तीर्थंकरों का स्नपन । जो सुगंधित जल से जिनेंद्रों का अभिषेक करता है वह जहाँ जन्मता है वहाँ अभिषेक को प्राप्त होता है । दूध से अभिषेक करने वाला क्षीरधवल विमान में कांतिधारी होता है, दधि से अभिषेक कर्ता दधि के समान वर्ण वाले स्वर्ग में उत्पन्न होता है और घी से अभिषेक करने वाला कांति से युक्त विमान का स्वामी होता है । अपरनाम अभिषव पद्मपुराण - 32.165-168 हरिवंशपुराण - 2.50