अल्पबहुत्व - प्रकीर्णक प्ररूपणाएँ 6-11
From जैनकोष
6. पाँचों शरीरोंके स्वामियोंकी ओघ व आदेश प्ररूपणा-
(ष.ख.14/5,6/सू.169-234/301-318)
सूत्र |
मार्गणा |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
1. ओघ प्ररूपणा-
सूत्र |
मार्गणा |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
169 |
जीवसामान्य |
4 |
स्तोक |
- |
170 |
अशरीरी (सिद्ध) |
- |
अनंत गुणे |
सिद्ध/असं. |
171 |
जीव सामान्य |
2 |
अनंत गुणे |
सर्वजीव/अनंत |
172 |
जीव सामान्य |
3 |
असं.गुणे |
अंतर्मुहूर्त |
2. आदेश प्ररूपणा-
1. गति मार्गणा-
नरक गति-
सूत्र |
मार्गणा |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
173 |
नारकी सा. |
2 |
स्तोक |
नार./आ.\असं. |
174 |
- |
3 |
असं.गुणे |
आ./असं. |
175 |
1-7 पृथिवी |
2 |
स्तोक |
- |
तिर्यंच गति-
तिर्यंच सामान्य
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
176 |
4 |
स्तोक |
- |
- |
2 |
अनंत गुणे |
- |
- |
3 |
असं.गुणे |
सं.आव. |
पंचेंद्रिय सा., प., व योनिमति
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
177 |
4 |
स्तोक |
- |
178 |
2 |
असं.गुणे |
ज.श्रे./असं. |
179 |
3 |
असं.गुणे |
आ./असं. |
पंचेंद्रित ति. अप.
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
180 |
2,3 |
नारकी सा.वत् |
- |
मनुष्य गति-
मनुष्य सामान्य
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
181 |
4 |
स्तोक |
संख्य. मात्र |
- |
2 |
असं.गुणे |
- |
- |
3 |
असं.गुणे |
आ./असं. |
मनुष्य प.व मनुष्यणी
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
182 |
4 |
स्तोक |
- |
183 |
- |
2 |
सं.गुणे |
184 |
- |
3 |
सं.गुणे |
मनुष्य अप.
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
185 |
- |
नारकी सा.वत् |
- |
देव गति-
देव सामान्य
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
186 |
2 |
स्तोक |
- |
187 |
3 |
असं.गुणे |
आ./असं. |
भवनवासी से अपराजित तक
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
188 |
2,3 |
देव सा. वत् पर गुणाकार |
पल्य/असं. |
सर्वार्थसिद्धि
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
189 |
2 |
स्तोक |
- |
190 |
3 |
सं.गुणे |
सं.समय |
2. इंद्रिय मार्गणा-
सूत्र |
मार्गणा |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
191 |
एके.सा.,बा.एके. |
4 |
तिर्यंच सा.वत् |
- |
- |
सा.,बा.एके.प. |
2,3 |
या ओघवत् |
|
192 |
बा.एके.अप.सू.एके.सा.,प.,अप.विकलत्रय सा.व.प.अप.पंचेंद्रिय अप. |
2 |
स्तोक |
|
193 |
- |
3 |
असं.गुणे |
सं.आ. |
194 |
पंचेंद्रिय सा.व प. |
- |
मनुष्य सा. वत् |
3. काय मार्गणा-
सूत्र |
मार्गणा |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
195 |
पृ., जल व वन. के बा.सू.प.अप.सर्व विकल्प अग्नि व वायु के बा.अप.तथा सू के प. अप.सर्व विकल्प त्रस के केलव अप. |
2 |
स्तोक |
- |
196 |
- |
3 |
असं.गुणे |
आ./असं. |
197 |
तेज व वायु के सा.व बा. केवल प. त्रस सा.व.प. |
पंचेंद्रिय प. वत् |
-
4. योग मार्गणा-
सूत्र |
मार्गणा |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
198 |
पाँच मन व पाँच वचन योगी |
4 |
स्तोक |
- |
199 |
- |
3 |
असं.गुणे |
ज.श्रे./असं. |
200 |
काय योग सामान्य |
- |
ति.या ओघवत् |
- |
201 |
औदारिक काययोगी |
4 |
स्तोक |
- |
202 |
- |
3 |
असं.गुणे |
सर्वजीव राशि के अनंत प्रथम वर्गमूल प्रमाण अल्पबहुत्व नहीं है |
203 |
औदारिक मिश्र, वैक्रियक व मिश्र, आहारक व मिश्र |
- |
X |
एक ही पद है |
204 |
कार्मण काय योग |
3 |
स्तोक |
- |
205 |
- |
2 |
अनंत गुणे |
जीवोंके अनंत प्रथम वर्गमूल |
5. वेद मार्गणा-
सूत्र |
मार्गणा |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
206 |
स्त्री व पुरुष वेदी |
- |
पंचेंद्रियसा. वत् |
- |
207 |
नपुंसक वेदी |
- |
ति.या ओघवत् |
- |
208 |
अपगत वेदी |
X |
X |
एक ही पद है |
7. ज्ञान मार्गणा-
मतिश्रुत अज्ञानी
सूत्र |
मार्गणा |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
209 |
ति.या ओघवत् |
- |
विभंग ज्ञानी
सूत्र |
मार्गणा |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
210 |
स्तोक |
- |
||
211 |
- |
3 |
असं.गुणे |
ज.श्रे./असं. |
मतिश्रुत अवधि ज्ञानी
सूत्र |
मार्गणा |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
212 |
- |
पंचे.पर्याप्तवत् |
- |
मनःपर्ययज्ञानी
सूत्र |
मार्गणा |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
213 |
4 |
स्तोक |
- |
|
214 |
- |
3 |
सं.गुणे |
सं.समय |
केवलज्ञानी
सूत्र |
मार्गणा |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
215 |
X |
X |
एक ही पद है |
8. संयम मार्गणा-
संयत सा.
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
216 |
4 |
स्तोक |
- |
सामायिक व छेदो.
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
- |
3 |
सं.गुणे |
सं.समय |
परिहार विशुद्धि, सूक्ष्म सांपराय व यथाख्यात
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
217 |
X |
X |
एक ही पद है |
संयतासंयत
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
218 |
4 |
स्तोक |
- |
असंयत
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
- |
3 |
असं.गुणे |
आ./असं. |
9. दर्शन मार्गणा-
चक्षु व अवधि द.
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
221 |
- |
पंचेंद्रिय प. वत् |
- |
अचक्षु दर्शनी
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
219 |
- |
ति.या ओघवत् |
- |
10. लेश्या मार्गणा-
कृष्ण नील, कापोत
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
220 |
- |
ति.या ओघवत् |
- |
पीत पद्म लेश्या
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
221 |
- |
पंचेंद्रिय प.वत् |
- |
शुक्ल लेश्या
सूत्र |
मार्गणा |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
223 |
2 |
स्तोक |
- |
|
224 |
- |
4 |
असं.गुणे |
पल्य/असं. |
225 |
- |
3 |
असं.गुणे |
आ./असं. |
11. भव्यत्व मार्गणा-
भव्य व अभव्य
सूत्र |
मार्गणा |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
220 |
- |
ति.या |
ओघवत् |
- |
12. सम्यक्त्व मार्गणा-
सम्यग्दृष्टि सा.वेदक व सासादन
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
226 |
2 |
पंचेंद्रिय प. वत् |
- |
क्षायिक व उपशम
सूत्र |
मार्गणा |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
227 |
4 |
स्तोक |
सं. मात्र |
|
228 |
- |
3 |
असं.गुणे |
पल्य/असं. |
229 |
- |
- |
असं.गुणे |
आ./असं. |
सम्यग्मिथ्यादृष्टि
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
230 |
4 |
स्तोक |
- |
- |
3 |
असं.गुणे |
आ./असं. |
मिथ्यादृष्टि
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
231 |
- |
ति.या ओघवत् |
- |
13. संज्ञी मार्गणा-
संज्ञी
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
232 |
- |
पंचंद्रिय प.वत् |
- |
असंज्ञी
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
233 |
- |
ति.या ओघवत् |
- |
14. आहारक मार्गणा-
आहारक
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
234 |
4 |
स्तोक |
औदारिक काय योगवत् |
- |
3 |
अनंत गुणे |
- |
अनाहारक
सूत्र |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
235 |
3 |
स्तोक |
कार्मण काय योगवत् |
- |
2 |
अनंतगुणे |
- |
7. जीवभावोंके अनुभाग व स्थिति विषयक प्ररूपणा-
1. संयम विशुद्धि या लब्धि स्थानों की अपेक्षा-
( षट्खंडागम 7/2,11/ सू.168-174/564-567) ( धवला 6/1,9-8,14/286 )
सूत्र |
विषय |
अल्पबहुत्व |
विशेष या गुणकार |
168 |
सामायिक व छेदो. की जघन्य चारित्र लब्धि |
सर्वतःस्तोक |
मिथ्यात्वके अभिमुख |
169 |
परिहार विशुद्धि की जघन्य चारित्र लब्धि |
अनंतगुणी |
सामायिकके अभिमुख |
170 |
परिहार विशुद्धि की उत्कृष्ट चारित्र लब्धि |
अनंतगुणी |
- |
171 |
सामायिक छेदो. की उत्कृष्ट चारित्र लब्धि |
अनंत गुणी |
अनिवृत्तिकरण का अंत समय |
172 |
सूक्ष्म सांपराय की जघन्य चारित्र लब्धि |
अनंत गुणी |
श्रेणी से उतरते हुए |
173 |
सूक्ष्म सांपरायकी उत्कृष्ट चारित्र लब्धि |
अनंतगुणी |
स्वस्थानका अंत समय |
174 |
यथाख्यात की अजघन्य अनुत्कृष्ट चारित्र लब्धि |
अनंतगुणी |
जघन्य व उत्कृष्टपनेका अभाव है। |
2. 14 जीव समासोंसे संक्लेश व विशुद्धि स्थानों की अपेक्षा
( षट्खंडागम 11/4,2,6/ सू.51-64/205-224) (म.व.2/2,3/3)
सूत्र |
मार्गणा |
शरीर स्वामित्व |
अल्पबहुत्व |
गुणकार |
51 |
एकेंद्रिय सू. अप. |
स्तोक |
- |
|
52 |
एकेंद्रिय वा. अप. |
असं.गुणे |
पल्य/असं. |
|
53 |
एकेंद्रिय सू. प. |
असं.गुणे |
पल्य/असं. |
|
54 |
एकेंद्रिय बा. प. |
असं.गुणे |
पल्य/असं. |
|
55 |
द्वींद्रिय अप. |
असं.गुणे |
पल्य/असं. |
|
56 |
द्वींद्रिय प. |
असं.गुणे |
पल्य/असं. |
|
57 |
त्रींद्रिय अप. |
असं.गुणे |
पल्य/असं. |
|
58 |
त्रींद्रिय प. |
असं.गुणे |
पल्य/असं. |
|
59 |
चतुरिंद्रिय |
अप. |
असं.गुणे |
पल्य/असं. |
60 |
चतुरिंद्रिय प. |
असं.गुणे |
पल्य/असं. |
|
61 |
पंचेंद्रिय असंज्ञी अप. |
असं.गुणे |
पल्य/असं. |
|
62 |
पंचेंद्रिय असंज्ञी प. |
असं.गुणे |
पल्य/असं. |
|
63 |
पंचेंद्रिय संज्ञी अप. |
असं.गुणे |
पल्य/असं. |
|
64 |
पंचेंद्रिय संज्ञी प. |
असं.गुणे |
पल्य/असं. |
3. दर्शन ज्ञान चारित्र विषयक भाव सामान्य के अवस्थानों की अपेक्षा स्व व परस्थान प्ररूपणा -
( कषायपाहुड़ 1/1,15-20/ पृ.330-362)
गाथापृ. |
विषय |
काल |
अल्पबहुत्व |
विशेष |
15/330 |
दर्शनोपयोग सा. |
ज. |
स्तोक |
असं.आ.मात्र |
- |
चक्षुइंद्रियावग्रह |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
श्रोत्र इंद्रियावग्रह |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
घ्राण इंद्रियावग्रह |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
जिह्वा इंद्रियावग्रह |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
मनोयोग सा. |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
वचन योग सा. |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
काय योग सा. |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
स्पर्शन इंद्रियावग्रह |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
अन्यतम अवाय |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
अन्यतम ईहा |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
श्रुत ज्ञान |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
श्वासोच्छ्वास |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
1/342 |
सशरीरकेवलीका केवल ज्ञान |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
उपरोक्तका दर्शन |
ज. |
ऊपर तुल्य |
- |
- |
शुक्ल लेश्या सा. |
ज. |
ऊपर तुल्य |
- |
- |
एकत्व वितर्क-अविचार ध्यान |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
पृथक्त्व वितर्क विचार |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
श्रेणीसे पतित सूक्ष्म सांपराय |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
श्रेणी पर अवरोहक सूक्ष्म सांपराय |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
क्षपक श्रेणी गत सूक्ष्म सांपराय |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
17/345 |
मान कषाय सा. |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
क्रोध कषाय सा. |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
माया कषाय सा. |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
लोभ कषाय सा. |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
क्षुद्र भव ग्रहण |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
कृष्टिकरण ज. |
विशेषाधिक |
- |
|
18/347 |
संक्रामण |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
अपवर्तन |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
उपशांत कषाय |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
क्षीण मोह |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
क्षपक |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
20/348 |
चक्षुदर्शन |
उ. |
विशेषाधिक |
ऊपरवाले की अपेक्षा |
- |
चक्षु इंद्रियावग्रह |
उ. |
दुगुना |
- |
- |
श्रोत्र इंद्रियावग्रह |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
- |
घ्राण इंद्रियावग्रह |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
- |
जिह्वा |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
- |
मनोयोग सा. |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
- |
वचन योग सा. |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
- |
काय योग सा. |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
- |
स्पर्शन इंद्रियावग्रह |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
- |
अन्यतम अवाय |
उ. |
- दुगुना |
नोट -यदि व्याघात या मरण न हो तब ही वह अल्पबहुत्व लागू होता है। मरण हो जाने पर तो किसि भीस्थानका जघन्य काल एक समय तक बन जाता है।
( कषायपाहुड़ 1/1,19/348 )
विषय |
काल |
अल्पबहुत्व |
विशेष |
अन्यतम.ईहा |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
श्रुतज्ञान |
उ. दुना |
- |
|
श्वासोच्छ्वास |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
सशरीर केवली का केवलज्ञान |
उ. |
विशेषाधिक |
सोपसर्ग केवली की अपेक्षा |
उपरोक्त का दर्शन |
उ. |
ऊपर तुल्य |
- |
शुक्ल लेश्या या. |
उ. |
ऊपर तुल्य |
- |
एकत्व वितर्क अविचारि ध्यान |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
पृथक्त्व वितर्क विचार ध्यान |
उ. |
दुगुना |
- |
अवरोहक सू. संपराय |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
आरोहक सू. संपराय |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
क्षपक सू. संपराय |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
मान कषाय सा. |
उ. |
दुगुना |
- |
क्रोध कषाय सा. |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
माया कषाय सा. |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
लोभ कषाय सा. |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
क्षुद्र भव |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
कृष्टि करण |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
संक्रामक |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
अपवर्तना |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
उपशांत कषाय |
उ. |
दूना |
- |
क्षीण मोह |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
उपशमक |
उ. |
दुगुना |
- |
क्षपक |
उ. |
विशेषाधिक |
- |
4. उपशम व क्षपण काल की अपेक्षा-
( कषायपाहुड़ 4/3,22/ $616-626/326-328)
चारित्र मोह-
विषय |
काल |
अल्पबहुत्व |
विशेष |
क्षपक अनिवृत्ति करण |
सा. स्तोक |
- |
|
क्षपक अपूर्व करण |
सा. |
सं.गुणा |
- |
उपशामक अनिवृत्ति करण |
सा. |
सं.गुणा |
- |
उपशामक अपूर्व करण |
सा. |
सं.गुणा |
- |
दर्शन मोह-
विषय |
काल |
अल्पबहुत्व |
विशेष |
क्षपक अनिवृत्ति करण |
सा. |
सं.गुणा |
- |
क्षपक अपूर्व करण |
सा. |
सं.गुणा |
- |
अनंतानुबंधी विसंयोजकका अनिवृत्ति करण |
सा. |
सं.गुणा |
- |
उपरोक्त अपूर्व करण |
सा. |
सं.गुणा |
- |
उपशामक अनिवृत्ति करण |
सा. |
सं.गुणा |
- |
उपशामक अपूर्व करण |
सा. |
सं.गुणा |
- |
5. कषाय काल की अपेक्षा-
( गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/296/640 )
नरक गति-
विषय |
काल |
अल्पबहुत्व |
विशेष |
लोभ |
सा. |
स्तोक अंतर्मु. |
- |
माया |
सा. |
सं.गुणा |
- |
मान |
सा. |
सं.गुणा |
- |
क्रोध |
सा. |
सं.गुणा |
- |
देवगति-
विषय |
काल |
अल्पबहुत्व |
विशेष |
क्रोध |
सा. |
स्तोक अंतर्मु. |
- |
मान |
सा. |
सं.गुणा |
- |
माया |
सा. |
सं.गुणा |
- |
लोभ |
सा. |
सं.गुणा |
- |
6. नोकपाय व ध काल की अपेक्षा-
( कषायपाहुड़ 3/3,22/ $386-387/पृ.213)
उच्चारणाचार्य की अपेक्षा चारों गतियोमें अन्य आचार्यों की अपेक्षा मनुष्य व तिर्यंच में
विषय |
काल |
अल्पबहुत्व |
विशेष |
पुरुष वेद |
सा. |
स्तोक |
2 (संदृष्टि) |
स्त्री वेद |
सा. |
सं.गुणा |
4 (संदृष्टि) |
हास्यरति |
सा. |
सं.गुणा |
16 (संदृष्टि) |
अरति शोक |
सा. |
सं.गुणा |
32 (संदृष्टि) |
नपुंसक वेद |
सा. |
विशेषाधिक |
42 (संदृष्टि) |
अन्य आचार्यों की अपेक्षा नरक व देव में
विषय |
काल |
अल्पबहुत्व |
विशेष |
पुरुष वेद |
सा. |
स्तोक |
3 (संदृष्टि) |
स्त्री वेद |
सा. |
सं.गुणा |
9 (संदृष्टि) |
हास्य रति |
सा. |
विशेषाधिक |
11 (संदृष्टि) |
नपुंसक वेद |
सा. |
सं.गुणा |
22 (संदृष्टि) |
अरति शोक |
सा. |
विशेषाधिक |
23 (संदृष्टि) |
7. मिथ्यात्व काल विशेष की अपेक्षा-
( धवला 10/4,2,4,62/284 )
विषय |
काल |
अल्पबहुत्व |
विशेष |
देवगति में जन्म धारनेवालेके |
- |
स्तोक |
- |
मनुष्य गतिमें उत्पत्ति योग्य |
- |
सं.गुणा |
- |
तिर्यंच संज्ञी पंचेंद्रियमें उत्पत्ति योग्य |
- |
सं.गुणा |
- |
तिर्यंच असंज्ञी पंचेंद्रियमें उत्पत्ति योग्य |
- |
सं.गुणा |
- |
चतुरिंद्रियमें उत्पत्ति योग्य |
- |
सं.गुणा |
- |
त्रींद्रियमें उत्पत्ति योग्य |
- |
सं.गुणा |
- |
द्वींद्रियमें उत्पत्ति योग्य |
- |
सं.गुणा |
- |
एकेंद्रिय बा.में उत्पत्ति योग्य |
- |
सं.गुणा |
- |
एकेंद्रिय सू.में उत्पत्ति योग्य |
- |
सं.गुणा |
- |
8. जीवों के योग स्थानों की अपेक्षा अल्पबहुत्व प्ररूपणाएँ
लक्षण –
उपपाद योग = जो उत्पन्न होनेके प्रथम समयमें एक समय मात्र के लिए हो।
एकांतानुवृद्धि योग = जो उत्पन्न होने के द्वीतीय समयसे लेकर शरीर पर्याप्तिसे अपर्याप्त रहनेके अंतिम समय तक निवृत्त्य पर्याप्तकोंमें रहता है। लब्ध्यपर्याप्तकोंके आयु बंधके योग्य कालमें अपने जीवितके त्रिभागमें परिणाम योग्य होता है। उससे नीचे एकांतानुवृद्धि योग होता है। इसका जघन्य व उत्कृष्ट काल एक समय है।
परिणाम योग = पर्याप्त होनेके प्रथम समयसे लेकर आगे जीवनपर्यंत सब जगह परिणाम योग ही होता है। निवृत्त्यपर्याप्तके परिणामयोग नहीं होता।
( धवला 10/4,2,173/420-421 ) (देखें अल्पबहुत्व - 3.11.7.3)
नोट - गुणकार सर्वत्र पल्य/असं. जानना
( धवला 10/ पृ.420)
सूत्र स्वामी योग अल्पबहुत्व
1. योग सामान्यके यव मध्य काल की अपेक्षा-
( षट्खंडागम 10/4,2,4/ सू.206-212/503-504)
सूत्र |
स्वामी |
योग |
अल्प्बहुत्व |
206 |
मध्य स्थान 8 समय योग्य |
- |
सर्वतःस्तोक |
207 |
दोनों पार्श्व भागों में |
- |
परस्पर तुल्य |
- |
7 समय योग्य |
- |
असं.गुणे |
208 |
6 समय योग्य |
- |
असं.गुणे |
209 |
5 समय योग्य |
- |
असं.गुणे |
210 |
4 समय योग्य |
असं.गणे |
3 व 2 समय योग्य स्थान ऊपर ही होते हैं नीचे नही
उपरिम भाग-
सूत्र |
स्वामी |
योग |
अल्प्बहुत्व |
211 |
3 समय योग्य |
- |
असं.गुणे |
212 |
2 समय योग्य |
- |
असं.गुणे |
2. योग स्थानोंके स्वामित्व सामान्य की अपेक्षा-
( धवला 10/4,2,4,173/403 )
सूत्र |
स्वामी |
योग |
अल्प्बहुत्व |
- |
सात ल.अप. |
3 स्थान |
स्तोक |
- |
एकेंद्रिय सू.बा. |
ऊप. |
परस्पर तुल्य |
- |
तीन विकलत्रय |
एकां. |
स्तोक |
- |
पंचेंद्रिय संज्ञी असंज्ञी |
परि. |
परस्पर तुल्य |
- |
यही सात नि. अप. |
2 स्थान |
परस्पर तुल्य |
- |
- |
ऊप.एका. |
असं.गुणे |
- |
यही सात नि.प. |
1 स्थान परि. |
असं.गुणे |
3. योग स्थान सामान्य में परस्पर अल्पहुत्व-
( धवला 10/4,2,4,173/404 )
सूत्र |
स्वामी |
योग |
अल्प्बहुत्व |
- |
सातों ल.अप.(देखें ऊपर ) |
उप. |
स्तोक |
- |
- |
एकां. |
असं.गुणे |
- |
- |
परि. |
असं.गुणे |
- |
सातों नि.अप. |
उप. |
स्तोक |
- |
- |
एका. |
असं.गुणे |
- |
सातों नि.प. |
परि. |
एक ही पदमें अल्पबहुत्व नहीं |
नोट - यह स्व-स्थान प्ररूपणा जानना।
4. 14 जीव समासोंमें जघन्योंत्कृष्ट योग स्थानों की अपेक्षा -
( षट्खंडागम 10/4,2,4/ सू.145-172/396-403)
सूत्र |
स्वामी |
योग |
अल्प्बहुत्व |
145 |
एकेंद्रिय सू. ल. अप. |
ज.उप. |
स्तोक |
146 |
एकेंद्रिय बा. ल. अप. |
ज.उप. |
असं.गुणे |
147 |
द्वींद्रिय ल. अप. |
ज.उप. |
असं.गुणे |
148 |
त्रींद्रिय ल. अप. अप |
ज.उप. |
असं.गुणे |
149 |
चतुरिंद्रिय ल. अप. |
ज.उप. |
असं.गुणे |
150 |
पंचेंद्रिय असंज्ञी ल. अप. |
ज.उप. |
असं.गुणे |
151 |
पंचेंद्रिय संज्ञी ल. अप. |
ज.उप. |
असं.गुणे |
152 |
एकेंद्रिय सू. ल. अप. |
उ.परि. |
असं.गुणे |
153 |
एकेंद्रिय बा. ल. अप. |
उ.परि. |
असं.गुणे |
154 एकेंद्रिय सू. नि. अप. |
ज.परि. |
असं.गुणे |
|
155 |
एकेंद्रिय बा. नि. अप. |
ज.परि. |
असं.गुणे |
156 |
एकेंद्रिय सू. नि. प. |
उ.परि |
असं.गुणे |
157 |
एकेंद्रिय बा. नि. प. |
उ.परि. |
असं.गुणे |
158 |
द्वींद्रिय नि. अप. |
उ.एकां. |
असं.गुणे |
159 |
त्रींद्रिय नि. अप. |
उ.एकां. |
असं.गुणे |
160 |
चतुरिंद्रिय नि. अप. |
उ.एकां. |
असं.गुणे |
161 |
पंचेंद्रिय असंज्ञी नि. अप. |
उ.एकां. |
असं.गुणे |
162 |
पंचेंद्रिय संज्ञी नि. अप. |
उ.एकां. |
असं.गुणे |
163 |
द्वींद्रिय नि. प. |
ज.परि. |
असं.गुणे |
164 |
त्रींद्रिय नि. प. |
ज.परि. |
असं.गुणे |
165 |
चतुरिंद्रिय नि. प. |
ज.परि. |
असं.गुणे |
166 |
पंचेंद्रिय असंज्ञी नि. प. |
ज.परि. |
असं.गुणे |
167 |
पंचेंद्रिय संज्ञी नि. प. |
ज.परि. |
असं.गुणे |
168 |
द्वींद्रिय नि. प. |
उ.परि. |
असं.गुणे |
169 |
त्रींद्रिय नि. प. |
उ.परि. |
असं.गुणे |
170 |
चतुरिंद्रिय नि. प. |
उ.परि. |
असं.गुणे |
171 |
पंचेंद्रिय असंज्ञी नि. प. |
उ.परि. |
असं.गुणे |
172 |
पंचेंद्रिय संज्ञी नि. प. |
उ.परि. |
असं.गुणे |
5. प्रत्येक योगके अविभाग प्रतिच्छेदों की अपेक्षा-
( धवला 10/4,2,4,173/404-420 )
नोट - गुणकार सर्वत्र पल्य/असं. जानना
स्वस्थान अल्पबहुत्व-
सूत्र |
स्वामी |
योग |
अल्प्बहुत्व |
404 |
एकेंद्रिय सू. ल. अप. |
ज.उप. |
स्तोक |
- |
- |
उ. उप. |
असं.गुणे |
- |
- |
ज.एकां. |
असं.गुणे |
- |
- |
उ.एकां. |
असं.गुणे |
- |
- |
ज.परि. |
असं.गुणे |
- |
- |
उ.परि |
असं.गुणे |
405 |
एकेंद्रिय बा. ल. अप. |
उपरोक्त छहों |
उपरोक्तवत् |
- |
तीनों विकलत्रय ल. अप. |
स्थान |
उपरोक्तवत् |
- |
पंचे. संज्ञी असंज्ञी ल.अप. |
- |
उपरोक्तवत् |
- |
एकेंद्रिय सू. नि. अप. |
ज.उप. स्तोक |
|
- |
- |
उ.उप. |
असं.गुणे |
- |
- |
ज.एकां. |
असं.गुणे |
- |
- |
उ.एकां. |
असं.गुणे |
- |
एकेंद्रिय बा. नि. अप. |
उपरोक्त चारों |
उपरोक्तवत् |
- |
विकलत्रय नि. अप. |
स्थान |
उपरोक्तवत् |
- |
पंचे. संज्ञी असंज्ञी अप. |
- |
उपरोक्तवत् |
- |
इति षट् निवृत्ति अपर्याप्त |
- |
उपरोक्तवत् |
405 |
एकेंद्रिय सू. नि. प. |
ज.परि. |
स्तोक |
- |
- |
उ.परि. |
असं.गुणे |
- |
एकेंद्रिय बा. नि. प. |
उपरोक्त दोनों स्थान |
उपरोक्तवत् |
- |
विकलत्रय नि. प. |
- |
उपरोक्तवत् |
- |
पंचे. संज्ञी असंज्ञी नि. प. |
- |
उपरोक्तवत् |
- |
इति षट् निवृत्ति पर्याप्त |
- |
उपरोक्तवत् |
परस्थान अल्पबहुत्व-
सूत्र |
स्वामी |
योग |
अल्प्बहुत्व |
406 |
बन. साधारण या निगोद |
||
- |
एकेंद्रिय सू. ल. अप. |
ज.उप. |
स्तोक |
- |
उपरोक्त नि. अप. |
ज.उप. |
असं.गुणे |
- |
उपरोक्त ल. अप. |
उ.उप. |
असं.गुणे |
- |
उपरोक्त नि. अप. |
उ.उप |
असं.गुणे |
- |
उपरोक्त ल. अप. |
ज.एकां. |
असं.गुणे |
- |
उपरोक्त नि. अप. |
ज.एकां. |
असं.गुणे |
- |
उपरोक्त ल. अप. |
उ.एकां. |
असं.गुणे |
- |
उपरोक्त नि. अप. |
उ.एकां. |
असं.गुणे |
- |
उपरोक्त ल. अप. |
ज.परि |
असं.गुणे |
- |
उपरोक्त नि. अप. |
उ.परि |
असं.गुणे |
- |
उपरोक्त ल. प. |
ज.परि |
असं.गुणे |
- |
उपरोक्त नि. प. |
उ.परि |
असं.गुणे |
407 |
एकेंद्रिय बा. के |
- |
उपरोक्तवत् |
- |
उपरोक्त सर्व विकल्प |
- |
- |
407 |
द्वींद्रिय ल. अप. |
ज.उप. |
स्तोक |
- |
द्वींद्रिय नि. अप. |
ज.उप |
असं.गुणे |
- |
द्वींद्रिय ल. अप. |
उ. उप. |
असं.गुणे |
- |
द्वींद्रिय नि. अप. |
उ.उप. |
असं.गुणे |
- |
द्वींद्रिय ल. अप. |
ज.एकां. |
असं.गुणे |
- |
द्वींद्रिय ल. अप. |
उ.एकां. |
असं.गुणे |
- |
द्वींद्रिय ल. अप. |
ज.परि. |
असं.गुणे |
- |
द्वींद्रिय ल अप. |
उ.परि |
असं.गुणे |
- |
द्वींद्रिय नि. अप. |
ज.एकां. |
असं.गुणे |
- |
द्वींद्रिय नि. अप. |
उ.एकां. |
असं.गुणे |
- |
द्वींद्रिय नि. प. |
ज.परि. |
असं.गुणे |
- |
द्वींद्रिय नि. प. |
उ.परि. |
असं.गुणे |
- |
त्रींद्रियसे संज्ञी पंचे. तकके उपरोक्त सर्व विकल्प |
- |
उपरोक्तवत् |
सर्व परस्थान अल्पबहुत्व-
(1) जघन्य स्थानोंको अपेक्षा सर्व परस्थानालाप
सूत्र |
स्वामी |
योग |
अल्प्बहुत्व |
408 |
एकेंद्रिय सू. ल. अप. |
ज.उप. |
स्तोक |
- |
एकेंद्रिय सू. नि. अप. |
ज.उप. |
असं.गुणा |
- |
एकेंद्रिय बा. ल. अप. |
ज.उप. |
असं.गुणा |
- |
एकेंद्रिय बा. नि. अप. |
ज.उप. |
असं.गुणा |
- |
द्वींद्रिय ल. अप. |
ज.उप. |
असं.गुणा |
- |
द्वींद्रिय नि. अप. |
ज.उप. |
असं.गुणा |
- |
त्रींद्रिय ल. अप. |
ज.उप. |
असं.गुणा |
- |
त्रींद्रिय नि. अप. |
ज.उप. |
असं.गुणा |
- |
चतुरिंद्रिय ल. अप. |
ज.उप. |
असं.गुणा |
- |
चतुरिंद्रिय नि. अप. |
ज.उप. |
असं.गुणा |
- |
पंचें. असंज्ञी ल. अप. |
ज.उप. |
असं.गुणा |
- |
पंचे. असंज्ञी नि. अप. |
ज.उप. |
असं.गुणा |
- |
पंचे. संज्ञी ल. अप. |
ज.उप. |
असं.गुणा |
- |
पंचे. संज्ञी नि. अप. |
ज.उप. |
असं.गुणा |
- |
एकेंद्रिय सू. ल. अप. |
ज.एकां. |
असं.गुणा |
- |
एकेंद्रिय सू. नि. अप. |
ज.एकां. |
असं.गुणा |
- |
एकेंद्रिय बा. ल. अप. |
ज.एकां. |
असं.गुणा |
- |
एकेंद्रिय बा. नि. अप. |
ज.एकां. |
असं.गुणा |
- |
द्वींद्रिय ल. अप. |
ज.एकां. |
असं.गुणा |
- |
त्रींद्रिय ल. अप. |
ज.एकां. |
असं.गुणा |
- |
चतुरिंद्रिय ल. अप. |
ज.एकां. |
असं.गुणा |
- |
पंचें असंज्ञी ल. अप. |
ज.एकां. |
असं.गुणा |
- |
पंचें संज्ञी ल. अप. |
ज.एकां. |
असं.गुणा |
- |
द्वींद्रिय ल. अप. |
ज.परि |
असं.गुणा |
- |
त्रींद्रिय ल. अप. |
ज.परि |
असं.गुणा |
- |
चतुरिंद्रिय ल. अप. |
ज.परि |
असं.गुणा |
- |
पंचें असंज्ञी ल. अप. |
ज.परि |
असं.गुणा |
- |
पंचें संज्ञी ल. अप. |
ज.परि |
असं.गुणा |
- |
द्वींद्रिय नि. अप. |
ज.एकां. |
असं.गुणा |
- |
त्रींद्रिय नि. अप. |
ज.एकां. |
असं.गुणा |
- |
चतुरिंद्रिय नि. अप. |
ज.एकां. |
असं.गुणा |
- |
पंचें असंज्ञी नि. अप. |
ज.एकां. |
असं.गुणा |
- |
पंचें संज्ञी नि. अप. |
ज.एकां. |
असं.गुणा |
- |
द्वींद्रिय नि. प. |
ज.परि. |
असं.गुणा |
410 |
त्रींद्रिय नि. प. |
ज.परि. |
असं.गुणे |
- |
चतुरिंद्रिय नि. प. |
ज.परि |
असं.गुणे |
411 |
पंचें असंज्ञी नि. प. |
ज.परि. |
असं.गुणे |
- |
पंचें संज्ञी नि. प. |
ज.परि |
असं.गुणे |
(2) उत्कृष्ट स्थानों की अपेक्षा सर्व परस्थानालाप
सूत्र |
स्वामी |
योग |
अल्प्बहुत्व |
411 |
एकेंद्रिय सू. ल. अप. |
उ.उप. |
स्तोक |
- |
एकेंद्रिय सू. नि. अप. |
उ.उप. |
असं.गुणा |
- |
एकेंद्रिय बा. ल. अप. |
उ.उप. |
असं.गुणा |
- |
एकेंद्रिय बा. नि. अप. |
उ.उप. |
असं.गुणा |
- |
द्वींद्रिय ल अप. |
उ.उप. |
असं.गुणा |
- |
द्वींद्रिय नि. अप. |
उ.उप. |
असं.गुणा |
- |
त्रिंद्रिय ल. अप. |
उ.उप. |
असं.गुणा |
- |
त्रींद्रिय नि. अप. |
उ.उप. |
असं.गुणा |
- |
चतुरिंद्रिय ल. अप. |
उ.उप. |
असं.गुणा |
- |
चतुरिंद्रिय नि. अप. |
उ.उप. |
असं.गुणा |
- |
पंचें. असंज्ञी ल. अप. |
उ.उप. |
असं.गुणा |
412 |
पंचें. असंज्ञी नि. अप. |
उ.उप. |
असं.गुणा |
- |
पंचें. संज्ञी ल. अप. |
उ.उप. |
असं.गुणा |
- |
पंचें. संज्ञी नि. अप. |
उ.उप. |
असं.गुणा |
412 |
एकेंद्रिय सू. ल. अप. |
उ.एकां. |
पल्य/गुणा |
- |
एकेंद्रिय सू. नि. अप. |
उ.एकां. |
पल्य/गुणा |
- |
एकेंद्रिय बा. ल. अप. |
उ.एकां. |
पल्य/गुणा |
- |
एकेंद्रिय बा. नि. अप. |
उ.एकां. |
पल्य/गुणा |
- |
एकेंद्रिय बा. ल. अप. |
उ.परि |
पल्य/गुणा |
- |
एकेंद्रिय बा. नि. अप. |
उ.परि |
पल्य/गुणा |
- |
एकेंद्रिय सू. ल. प. |
उ.परि |
पल्य/गुणा |
- |
एकेंद्रिय बा. नि. प. |
उ.परि |
पल्य/गुणा |
- |
द्वींद्रिय ल. अप |
उ.एकां. |
पल्य/गुणा |
- |
त्रींद्रिय ल. अप |
उ.एकां. |
पल्य/गुणा |
- |
चतुरिंद्रिय ल. अप |
उ.एकां. |
पल्य/गुणा |
- |
पंचें. असंज्ञी ल. अप |
उ.एकां. |
पल्य/गुणा |
- |
पंचें. संज्ञी ल. अप |
उ.एकां. |
पल्य/गुणा |
413 |
द्वींद्रिय ल. अप |
उ.परि |
पल्य/गुणा |
- |
त्रींद्रिय ल. अप |
उ.परि |
पल्य/गुणा |
- |
चतुरिंद्रिय ल. अप |
उ.परि |
पल्य/गुणा |
- |
पंचें. असंज्ञी ल. अप |
उ.परि |
पल्य/गुणा |
- |
पंचें. संज्ञी ल. अप |
उ.परि |
पल्य/गुणा |
- |
द्वींद्रिय नि. अप |
उ.एकां. |
पल्य/गुणा |
- |
त्रींद्रिय नि. अप |
उ.एकां. |
पल्य/गुणा |
- |
चतुरिंद्रिय नि. अप |
उ.एकां. |
पल्य/गुणा |
- |
पंचें. असंज्ञी नि. अप |
उ.एकां. |
पल्य/गुणा |
- |
पंचें. संज्ञी नि. अप |
उ.एकां. |
पल्य/गुणा |
- |
द्वींद्रिय नि. प. |
उ.परि. |
पल्य/गुणा |
- |
त्रींद्रिय नि. प. |
उ.परि. |
पल्य/गुणा |
- |
चतुरिंद्रिय नि. प. |
उ.परि. |
पल्य/गुणा |
- |
पंचें. असंज्ञी नि. प. |
उ.परि. |
पल्य/गुणा |
414 |
पंचें. संज्ञी नि. प. |
उ.परि. |
पल्य/गुणा |
(3) जघन्योत्कृष्ट की अपेक्षा 84 स्थानीय सर्व परस्थानालाप-
सूत्र |
स्वामी |
योग |
अल्प्बहुत्व |
414 |
एकेंद्रिय सू. ल. अप. |
ज.उप. |
पल्य/गुणा |
- |
एकेंद्रिय सू नि. अप. |
ज.उप. |
पल्य/गुणा |
- |
एकेंद्रिय सू. ल. अप. |
उ.उप. |
पल्य/गुणा |
- |
एकेंद्रिय बा. ल. अप. |
ज.उप. |
पल्य/गुणा |
414 |
एकेंद्रिय सू. नि. अप. |
उ.उप. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
एकेंद्रिय बा. ल. अप. |
उ.उप. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
द्वींद्रिय ल. अप. |
ज.उप. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
एकेंद्रिय बा. नि. अप. |
उ.प. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
द्वींद्रिय नि. अप. |
ज.उप. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
द्वींद्रिय ल. अप. |
उ.उप. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
त्रींद्रिय ल. अप. |
ज.उप. |
पल्य/असं.गुणे |
415 |
द्वींद्रिय नि. अप. |
उ.उप |
पल्य/असं.गुणे |
- |
त्रींद्रिय नि. अप. |
ज.उप |
पल्य/असं.गुणे |
- |
त्रींद्रिय ल. अप. |
उ.उप. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
चतुरिंद्रिय ल.अप. |
ज.उप. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
त्रींद्रिय नि. अप. |
उ.उप. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
चतुरिंद्रिय नि. अप. |
ज.उप. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
चतुरिंद्रिय ल.अप. |
उ.उप. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
पंचें. असंज्ञी ल. अप. |
ज.उप. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
चतुरिंद्रिय नि. अप. |
उ.उप |
पल्य/असं.गुणे |
- |
पंचें. असंज्ञी नि. अप. |
ज.उप |
पल्य/असं.गुणे |
- |
पंचें. असंज्ञी ल. अप. |
उ.उप. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
पंचें. संज्ञी ल. अप. |
ज.उप. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
पंचें. असंज्ञी नि. अप. |
उ.उप. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
पंचें. संज्ञी ल. अप. |
ज.उप. |
पल्य/असं.गुणे |
416 |
एकेंद्रिय सू. ल. अप. |
ज.एकां. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
पंचें. संज्ञी नि. अप. |
उ.उप. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
एकेंद्रिय सू. नि. अप. |
ज.एकां. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
एकेंद्रिय बा. ल. अप. |
ज. एकां. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
एकेंद्रिय बा. नि. अप. |
ज.एकां. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
एकेंद्रिय सू. ल. अप. |
उ. एकां. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
एकेंद्रिय सू. नि. अप. |
उ.एकां. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
एकेंद्रिय बा. ल. अप. |
उ.एकां. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
एकेंद्रिय बा. नि. अप. |
उ.एकां. |
पल्य/असं.गुणे |
(4) श्रेणी/असं. मात्र योग स्थानों अंतर
सूत्र |
स्वामी |
योग |
अल्प्बहुत्व |
- |
एकेंद्रिय सू. ल. अप. |
ज.परि |
पल्य/असं.गुणे |
- |
एकेंद्रिय बा. ल. अप. |
ज.परि |
पल्य/असं.गुणे |
- |
एकेंद्रिय सू. ल. अप. |
उ.परि |
पल्य/असं.गुणे |
- |
एकेंद्रिय बा. ल. अप. |
उ.परि |
पल्य/असं.गुणे |
417 |
एकेंद्रिय सू. नि. प. |
ज.परि |
पल्य/असं.गुणे |
- |
एकेंद्रिय बा. नि. प. |
उ.परि |
पल्य/असं.गुणे |
- |
एकेंद्रिय सू. नि. प. |
उ.परि |
पल्य/असं.गुणे |
- |
एकेंद्रिय बा. नि. प. |
उ.परि |
पल्य/असं.गुणे |
- |
द्वींद्रिय ल. अप. |
ज.एकां |
पल्य/असं.गुणे |
- |
त्रींद्रिय ल. अप. |
ज.एकां |
पल्य/असं.गुणे |
- |
चतुरिंद्रिय ल. अप. |
ज.एकां |
पल्य/असं.गुणे |
- |
पंचे. असंज्ञी ल. अप. |
ज.एकां |
पल्य/असं.गुणे |
- |
पंचें. संज्ञी ल. अप. |
ज.एकां |
पल्य/असं.गुणे |
- |
द्वींद्रिय ल. अप. |
उ.एकां |
पल्य/असं.गुणे |
- |
त्रींद्रिय ल. अप. |
उ.एकां |
पल्य/असं.गुणे |
- |
चतुरिंद्रिय ल. अप. |
उ.एकां |
पल्य/असं.गुणे |
- |
पंचें.असंज्ञी ल. अप. |
उ.एकां |
पल्य/असं.गुणे |
- |
पंचें. संज्ञी ल. अप. |
उ.एकां |
पल्य/असं.गुणे |
418 |
द्वींद्रिय ल. अप. |
ज.परि |
पल्य/असं.गुणे |
- |
त्रींद्रिय ल. अप. |
ज.परि. |
पल्य/असं.गुणे |
418 |
चतुरिंद्रिय ल. अप. |
ज.परि. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
पंचें. असंज्ञी ल. अप. |
जपरि. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
पंचें. संज्ञी ल. अप. |
ज.परि. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
द्वींद्रिय ल. अप. |
उ.परि. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
त्रींद्रिय ल. अप. |
उ.परि. |
पल्य/असं.गुणे |
418 |
चतुरिंद्रिय ल. अप. |
उपरि. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
पंचें. असंज्ञी ल. अप. |
उ.परि. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
पंचें. संज्ञी ल. अप. |
उ.परि. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
द्रींद्रिय नि. अप. |
ज.एकां. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
त्रींद्रिय नि. अप. |
ज.एकां. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
चतुरिंद्रिय नि. अप. |
ज.एकां. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
पंचें. असंज्ञी नि. अप. |
ज.एकां. |
पल्य/असं.गुणे |
419 |
पंचें. संज्ञी नि. अप. |
ज.एकां. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
द्वींद्रिय नि. अप. |
उ.एकां. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
त्रींद्रिय नि. अप. |
उ.एकां. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
चतुरिंद्रिय नि. अप. |
उ.एकां. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
पंचें. असंज्ञी नि. अप. |
उ.एकां. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
पंचें. संज्ञी नि. अप. |
उ.एकां. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
द्वींद्रिय नि. प. |
ज.परि. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
त्रींद्रिय नि. प. |
ज.परि. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
चतुरिंद्रिय नि. प. |
ज.परि. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
पंचें. असंज्ञी नि. प. |
ज.परि. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
पंचें. संज्ञी नि. प. |
ज.परि. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
द्वींद्रिय नि. प. |
उ.परि. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
त्रींद्रिय नि. प. |
उ.परि. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
चतुरिंद्रिय नि. प. |
उ.परि. |
पल्य/असं.गुणे |
- |
पंचें. असंज्ञी नि. प. |
उ.परि. |
पल्य/असं.गुणे |
420 |
पंचें. संज्ञी नि. प. |
उ.परि. |
पल्य/असं.गुणे |
9. कर्मोंके सत्त्व व बंध स्थानोंकी अल्पबहुत्व प्ररूपणाएँ
नोट - इस प्ररूपणाके विस्तारके लिए देखें अल्पबहुत्व - 3.11.7
1. जीवोंके स्थिति बंध स्थानों की अपेक्षा--
( षट्खंडागम 11/4,2,6/ सू.37-50/142-147)
सूत्र |
मार्गणा |
समास |
अल्पबहुत्व |
37 |
एकेंद्रिय सू. अप. |
स्तोक (पल्य/असं.) |
|
38 |
एकेंद्रिय बा. अप. |
सं.गुणे |
|
39 |
एकेंद्रिय सू. प. |
सं.गुणे |
|
40 |
एकेंद्रिय बा. प. |
सं.गुणे |
|
41 |
द्वींद्रिय अप. |
सं.गुणे |
|
42 |
द्वींद्रिय |
प. |
सं.गुणे |
43 |
त्रींद्रिय अप. |
सं.गुणे |
|
44 |
त्रींद्रिय प. |
सं.गुणे |
|
45 |
चतुरिंद्रिय अप. |
सं.गुणे |
|
46 |
चतुरिंद्रिय प. |
सं.गुणे |
|
47 |
पंचेंद्रिय असंज्ञी अप. |
सं.गुणे |
|
48 |
पंचेंद्रिय असंज्ञी प. |
सं.गुणे |
|
49 |
पंचेंद्रिय संज्ञी अप. |
सं.गुणे |
|
50 |
पंचेंद्रिय संज्ञी प. |
सं.गुणे |
नोट - इसीके स्व स्थान, पर स्थान व सर्व परस्थान संबंधी विस्तृत प्ररूपणाएँ देखें [[ ]]
( धवला 11/4,2,6,50/147-205 )
2. स्थिति बंधमें जघन्योत्कृष्ट स्थानों की अपेक्षा-
( षट्खंडागम 11/4,2,6/ सू.65-100/225-237)
सूत्र |
मार्गणा |
समास |
अल्पबहुत्व |
65 |
सूक्ष्म सांपराय संयतके अंतिम समयवर्ती |
ज. |
सर्वतःस्तोक |
66 |
एकेंद्रिय बा. प. |
ज. |
असं.गुणा |
- |
- |
- |
गुणकार=पल्य/असं. |
67 |
एकेंद्रिय सू. प. |
ज. |
विशेषाधिक |
- |
- |
- |
विशेष=पल्य/असं. |
68 |
एकेंद्रिय बा. अप. |
ज. |
विशेष=पल्य/असं. |
69 |
एकेंद्रिय सू. अप. |
ज. |
विशेष=पल्य/असं. |
70 |
एकेंद्रिय सू. अप. |
उ. |
विशेष=पल्य/असं. |
71 |
एकेंद्रिय बा. अप. |
उ. |
विशेष=पल्य/असं. |
72 |
एकेंद्रिय सू. प. |
उ. |
विशेष=पल्य/असं. |
73 |
एकेंद्रिय बा. प. |
उ. |
विशेष=पल्य/असं. |
74 |
द्वींद्रिय प. |
ज. |
25गुणा |
75 |
द्वींद्रिय अप. |
ज. |
विशेषाधिक |
76 |
द्वींद्रिय अप. |
उ. |
विशेष=पल्य/असं. |
77 |
द्वींद्रिय प. |
उ. |
विशेष=पल्य/असं. |
78 |
त्रींद्रिय प. |
ज. |
विशेष=पल्य/असं. |
79 |
त्रींद्रिय अप. |
ज. |
विशेष=पल्य/असं. |
80 |
त्रींद्रिय अप. |
उ. |
विशेष=पल्य/असं. |
81 |
त्रींद्रिय प. |
उ. |
विशेष=पल्य/असं. |
82 |
चतुरिंद्रिय प. |
ज. |
विशेष=पल्य/असं. |
83 |
चतुरिंद्रिय अप. |
ज. |
विशेष=पल्य/असं. |
84 |
चतुरिंद्रिय अप. |
उ. |
विशेष=पल्य/असं. |
85 |
चतुरिंद्रिय प. |
उ. |
विशेष=पल्य/असं. |
- |
- |
- |
विशेषाधिक |
86 |
पंंचेंद्रिय असंज्ञी प. |
ज. |
विशेष=पल्य/असं. |
87 |
पंंचेंद्रिय असंज्ञी अप. |
ज. |
विशेष=पल्य/असं. |
88 |
पंंचेंद्रिय असंज्ञी अप. |
उ. |
विशेष=पल्य/असं. |
89 |
पंंचेंद्रिय असंज्ञी प. |
उ. |
विशेष=पल्य/असं. |
90 |
संयत सामान्य |
उ. |
सं.गुणा |
- |
- |
- |
गुणकार=सं.समय |
91 |
संयतासंयत |
ज. |
गुणकार=सं.समय |
92 |
संयतासंयत |
उ. |
गुणकार=सं.समय |
93 |
असंयत सम्यग्दृष्टि प. |
ज. |
गुणकार=सं.समय |
94 |
असंयत सम्यग्दृष्टि अप. |
ज. |
गुणकार=सं.समय |
95 |
असंयत सम्यग्दृष्टि अप. |
उ. |
गुणकार=सं.समय |
96 |
असंयत सम्यग्दृष्टि प. |
उ. गुणकार=सं.समय |
|
97 |
पंचेंंद्रिय संज्ञी मिथ्यादृष्टि प. |
ज. |
गुणकार=सं.समय |
98 |
उपरोक्त अप. |
ज. |
गुणकार=सं.समय |
99 |
अप. |
उ. |
गुणकार=सं.समय |
100 |
उपरोक्त प. |
उ. |
गुणकार=सं.समय |
3. स्थिति बंधके निषेकों की अपेक्षा-
( षट्खंडागम 11/4,2,6/ सू.102-111/238-253)
सूत्र |
मार्गणा व समास |
अल्पबहुत्व |
102 से 111 |
सर्व जीव समास मिथ्यादृष्टि- |
|
- |
आठों कर्मों की अपेक्षा प्रथम समयमें निक्षिप्त |
अधिक |
- |
द्वितीय समयमें निक्षिप्त |
विशेष हीन |
- |
तृतीय समयमें निक्षिप्त |
विशेष हीन |
पंचे. संज्ञी प. सम्यग्दृष्टि आयु की अपेक्षा
सूत्र |
<heading> |
104 |
उपरोक्तवत् |
नोट - विशेष देखो (नं.14/8/10,12)?
4. मोहनीय कर्मके स्थिति सत्त्व स्थानों की अपेक्षा-
( कषायपाहुड़ 4/3,22/ $628-639/329)
सूत्र |
मार्गणा व समास |
अल्पबहुत्व |
628 |
प्रत्याख्यान अप्रत्याख्यान क्रोध, मान, माया, लोभके सत्कर्म स्थान |
सर्वतः स्तोक |
629 |
स्त्री वेद के सत्कर्म स्थान |
विशेषाधिक |
- |
नपुं.वेद के सत्कर्म स्थान |
ऊपर तुल्य |
630 |
हास्यादि 6 नोकषायों के स्थिति सत्कर्म स्थान |
विशेषाधिक |
631 |
पुरुष वेद के सत्कर्म स्थान |
विशेषाधिक |
632 |
संज्वलन क्रोध के सत्कर्म स्थान |
विशेषाधिक |
633 |
संज्वलन मान के सत्कर्म स्थान |
विशेषाधिक |
634 |
संज्वलन माया के सत्कर्म स्थान |
विशेषाधिक |
635 |
संज्वलन लोभ के सत्कर्म स्थान |
विशेषाधिक |
636 |
अनंतानुबंधी क्रोध, मान, माया, लोभ रूप चतुष्क के स्थिति सत्कर्म स्थान |
विशेषाधिक |
637 |
मिथ्यात्व के सत्कर्म स्थान |
विशेषाधिक |
638 |
सम्यक्त्व प्रकृतिके सत्कर्म स्थान |
विशेषाधिक |
639 |
सम्यग्मिथ्यात्व प्रकृतिके सत्कर्म स्थान |
विशेषाधिक |
5. बंध समुत्पत्तिक अनुभाग सत्त्व के जघन्य स्थानों की अपेक्षा
अर्थ - बंध समुत्पत्तिक स्थान = कर्मका जितना अनुभाग बाँधा गया
( कषायपाहुड़ 5/4,22/ $572/338)
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
संयमाभिमुख चरम समयवर्ती मिथ्यादृष्टि |
स्तोक |
सर्व विशुद्ध पंचे. संज्ञी प. का ज. अनु. स्थान |
- |
सर्व विशुद्धि पंचे. असंज्ञी अ.ज. अनु. स्थान |
अनंतगुणा |
सर्व विशुद्धि चौइंद्रिय असंज्ञी अ.ज. अनु स्थान |
अनंतगणा |
सर्व विशुद्धि तेइंद्रिय असंज्ञी ज. अनु. स्थान |
अनंतगुणा |
सर्व विशुद्धि द्वींद्रिय असंज्ञी ज. अनु. स्थान |
अनंतुगुणा |
सर्व विशुद्धि एकेंद्रिय बा. असंज्ञी ज. अनु. स्थान |
अनंतगुणा |
सर्व विशुद्धि एकेंद्रिय असंज्ञी ज. अनु. स्थान |
अनंतगुणा |
कौन कर्मका अनुभाग |
अल्पबहुत्व |
6. हत्समुत्पत्तिक अनुभाग सत्त्वके जघन्य स्थानों की अपेक्षा
अर्थ - हत समुत्पत्तिक स्थान=अपवर्तन द्वारा अनुभाग का घात करके जितना अनुभाग शेष रखा गया
( कषायपाहुड़ 5/4,22/ $572/338-339)
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
सर्व विशुद्धि एकेंद्रिय सू. अप. द्वारा |
उपरोक्त बंध स्थानसे |
सर्व अनुमान घातके उत्पन्न किया ज. स्थान |
अनंतगुणा |
सर्व एकेंद्रिय बा.के द्वारा घात से उत्पन्न |
अनंतगुणा |
सर्व द्वींद्रिय बा.के द्वारा घात से उत्पन्न |
अनंतगुणा |
सर्व तेइंद्रिय बा.के द्वारा घात से उत्पन्न |
अनंतगुणा |
सर्व चतुरेंद्रिय बा.के द्वारा घात से उत्पन्न |
अनंतगुणा |
सर्व पंचे. असंज्ञी बा.के द्वारा घात से उत्पन्न |
अनंतगुणा |
संयमाभिमुख पंचें. संज्ञी बा.के द्वारा घात से उत्पन्न |
अनंतगुणा |
7. अष्टकर्म प्रकृतियोंके उत्कृष्ट अनुभागकी 64 स्थानीय स्वस्थान ओघ व आदेश प्ररूपणा
(म.ब/5/$417-425/220-224)
1. ज्ञानावरण-ओघ प्ररूपणा
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
केवल ज्ञानावरणी का |
सर्वतःतीव्र |
आभिनिबोधिक ज्ञानावरण का |
अनंतगुणा हीन |
श्रुत ज्ञानावरण का |
अनंतगुणा हीन |
अवधि ज्ञानावरण का |
अनंतगुणा हीन |
मनःपर्यय ज्ञानावरण का |
अनंतगुणा हीन |
2. दर्शनावरण-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
केवल दर्शनावरण का |
सर्वतःतीव्र |
चक्षु दर्शनावरण का |
अनंतगुणा हीन |
अचक्षु दर्शनावरण का |
अनंतगुणा हीन |
अवधि दर्शनावरण का |
अनंतगुणा हीन |
स्त्यानगृद्धि दर्शनावरण का |
अनंतगुणा हीन |
निद्रा निद्रा दर्शनावरण का |
अनंतगुणा हीन |
प्रचला प्रचला दर्शनावरण का |
अनंतगुणा हीन |
निद्रा दर्शनावरण का |
अनंतगुणा हीन |
प्रचला दर्शनावरण का |
अनंतगुणा हीन |
3. वेदनीय-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
साता वेदनीय का |
सर्वतःतीव्र |
असाता वेदनीय का |
अनंतगुणा हीन |
4. मोहनीय-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
मिथ्यात्व |
सर्वतःतीव्र |
अनंतानुबंधी |
लोभ का |
अनंतगुणा हीन |
|
अनंतानुबंधी माया का |
विशेष हीन |
अनंतानुबंधी क्रोध का |
विशेष हीन |
अनंतानुबंधी मान का |
विशेष हीन |
संज्वलन लोभ का |
अनंतगुणा हीन |
संज्वलन माया का |
विशेष हीन |
संज्वलन क्रोध का |
विशेष हीन |
संज्वलन मान का |
विशेष हीन |
प्रत्याख्यान लोभ का |
अनंतगुणा हीन |
प्रत्याख्यान माया का |
विशेष हीन |
प्रत्याख्यान क्रोध का |
विशेष हीन |
प्रत्याख्यान मान का |
विशेष हीन |
अप्रत्याख्यान लोभ का |
अनंतगुणा हीन |
अप्रत्याख्यान माया का |
विशेष हीन |
अप्रत्याख्यान क्रोध का |
विशेष हीन |
अप्रत्याख्यान मान का |
विशेष हीन |
नपुंसक वेद का |
अनंतगुणा हीन |
अरति का |
अनंतगुणा हीन |
शोक का |
अनंतगुणा हीन |
भय का |
अनंतगुणा हीन |
जुगुप्सा का |
अनंतगुणा हीन |
स्त्रीवेद का |
अनंतगुणा हीन |
पुरुष वेद का |
अनंतगुणा हीन |
रति का |
अनंतगुणा हीन |
हास्य का |
अनंतगुणा हीन |
5. आयु-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
देवायु का |
सर्वतःतीव्र |
नरकायु का |
अनंतगुणा हीन |
मनुष्यायु का |
अनंतगुणा हीन |
तिर्यंचायु का |
अनंतगुणा हीन |
6. नामकर्म-
(गति) :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
देवगति का |
सर्वतःतीव्र |
मनुष्यगति का |
अनंतगुणा हीन |
नरकगति का |
अनंतगुणा हीन |
तिर्चंयगति का |
अनंतगुणा हीन |
(जाति) :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
पंचेंंद्रिय जाति का |
सर्वतःतीव्र |
एकेंद्रिय जाति का |
अनंतगुणा हीन |
द्वींद्रिय जाति का |
अनंतगुणा हीन |
त्रींद्रिय जाति का |
अनंतगुणा हीन |
चतुरिंद्रिय जाति का |
अनंतगुणा हीन |
(शरीर) :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
कार्माण शरीर का |
सर्वतःतीव्र |
तैजस शरीर का |
अनंतगुणा हीन |
आहारक शरीर का |
अनंतगुणा हीन |
वैक्रियक शरीर का |
अनंतगुणा हीन |
औदारिक शरीर का |
अनंतगुणा हीन |
(संस्थान) :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
समचतुरस्र संस्थान का |
सर्वतःतीव्र |
हुंडक संस्थान का |
अनंतगुणा हीन |
न्यग्रोध परिमंडल संस्थान का |
अनंतगुणा हीन |
स्वाति संस्थान का |
अनंतगुणा हीन |
कुब्जक संस्थान का |
अनंतगुणा हीन |
वामन संस्थान का |
अनंतगुणा हीन |
(अंगोपांग) :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
आहारक अंगोपांग का |
सर्वतःतीव्र |
वैक्रियक अंगोपांग का |
अनंतगुणा हीन |
औदारिक अंगोपांग का |
अनंतगुणा हीन |
(संहनन) :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
वज्र ऋषभ नाराच संहनन का |
सर्वतःतीव्र |
असंप्राप्त सृपाटिका संहनन का |
अनंतगुणा हीन |
वज्रनाराच संहनन का |
अनंतगुणा हीन |
नाराच संहनन का |
अनंतगुणा हीन |
अर्ध नाराच संहनन का |
अनंतगुणा हीन |
कीलित संहनन का |
अनंतगुणा हीन |
(वर्ण) :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
प्रशस्त वर्ण चतुष्क |
सर्वतःतीव्र |
अप्रशस्त चतुष्क वर्ण का |
अनंतगुणा हीन |
(आनूपूर्वी) :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
देवगति आनुपूर्वी का |
सर्वतःतीव्र |
मनुष्य गति आनुपूर्वी का |
अनंतगुणा हीन |
नरक गति आनुपूर्वी का |
अनंतगुणा हीन |
तिर्यंच गति आनुपूर्वी का |
अनंतगुणा हीन |
(अगुरुलघु आदि) :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
अगुरुलघु का |
सर्वतःतीव्र |
उच्छ्वास का |
अंतागुणा हीन |
परघात का |
अनंतगुणा हीन |
उपघात का |
अनंतगुणा हीन |
(प्रशस्ताप्रशस्त युगल) :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
सर्व प्रशस्त प्रकृत का |
सर्वतःतीव्र |
सर्व अप्रशस्त का |
अनंतगुणा हीन |
7. गोत्रकर्म :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
उच्च गोत्र का |
सर्वतःतीव्र |
नीच गोत्र का |
अनंतगुणा हीन |
8. अंतराय कर्म :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
वीर्यांतराय का |
सर्वतःतीव्र |
उपभोग अंतराय का |
अनंतगुणा हीन |
भोग अंतराय का |
अनंतगुणा हीन |
लाभ अंतराय का |
अनंतगुणा हीन |
दान अंतराय का |
अनंतगुणा हीन |
आदेश प्ररूपणा :-
1. गति मार्गणा :-
नरक गतिमें :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
नरक गति सामान्यमें |
ओघवत् |
1-7 पृथिवी में |
ओघवत् |
तिर्यंच गति में :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
नरकायु का |
तीव्र |
देवायु का |
अनंतगुणा हीन |
मनुष्यायु का |
अनंतगुणा हीन |
तिर्यंचायु का |
अनंतगुणा हीन |
देव गति का |
तीव्र |
नरक गति का |
अनंतगुणा हीन |
तिर्यंच गति का |
अनंतगुणा हीन |
मनुष्य गति का |
अनंतगुणा हीन |
शेष कर्म का |
ओघवत् |
तिर्यंचोके अन्य विकल्पोंमें उपरोक्तवत्
पंचेंद्रिय तिर्यंच अपर्याप्त नरक वत्
मनुष्य गति में :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
मनुष्य प.व मनुष्यणीमें चारों गतियों का |
तिर्यंच वत् |
शेष कर्मों का |
ओघवत् |
देवगति में :-
सर्व विकल्पी में ओघवत्
2. इंद्रिय मार्गणा :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
सब एकेंद्रिय तथा सब विकलेंद्रियमें |
पंचे. तिर्यंच अप.वत् |
पंचेंद्रिय प. व अप. में |
ओघवत् |
3. काय मार्गणा :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
पाँचों स्थावर कायमें |
पंचे.तिर्यंच अप. वत् |
त्रस प. अप. में |
ओघवत् |
4. योग मार्गणा :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
पाँचों मनोयोगीमें |
ओघवत् |
पाँचों वचन योगी में |
ओघवत् |
काय योगी सा.में |
ओघवत् |
औदारिक काय योगी में |
मनुष्यणीवत् |
औदारिक मिश्र योगी |
तिर्यंच सा.वत् |
वैक्रियक व वैक्रियक मिश्रमें |
देवगति वत् |
आहारक आहारक मिश्रमें |
सर्वार्थसिद्धवत् |
कार्मण योगमें |
औदारिक मिश्रवत् |
5. वेद मार्गणा :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
तीनों वेद व अपगत वेद में |
मूलोघवत् |
6. कषाय मार्गणा :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
चारों कषाय में |
ओघवत् |
7. ज्ञान मार्गणा :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
मति श्रुत अवधि व मनःपर्ययमें |
ओघवत् |
केवलज्ञानमें |
X |
मति श्रुत अज्ञान व विभंग में |
तिर्यंच वत् |
8. संयम मार्गणा :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
संयम सा. सामायिक व छेदा. में |
ओघवत् |
परिहार विशुद्धिमें |
सर्वार्थ सिद्धि वत् |
सूक्ष्म सांपरायमें |
ओघवत् |
यथाख्यात में |
X |
संयतासंयत में |
सर्वार्थसिद्धिवत् |
असंयत में |
ओघवत् |
9. दर्शन मार्गणा :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
चक्षु अचक्षु दर्शनों में |
ओघवत् |
अवधि दर्शनों में |
ओघवत् |
10. लेश्या मार्गणा :-
कृष्ण में तिर्यंचोंवत्
नील-कापोतमें :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
देवगतिका अनुभाग |
तीव्र |
मनुष्य का अनुभाग |
अनंतगुणा हीन |
तिर्यंच का अनुभाग |
अनंतगुणा हीन |
नरक का अनुभाग |
अनंतगुणा हीन |
चारों आनुपूर्वीका |
उपरोक्तवत् |
शेष प्रकृतियोंका |
कृष्ण लेश्यावत् |
पीत लेश्या व पद्म लेश्या में देवगतिवत्
शुक्ल लेश्या में ओघवत्
11. सम्यक्त्व मार्गणा :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
सम्यग्दर्शन सा.में |
ओघवत् |
उपशम व क्षायिक सम्य में |
ओघवत् |
वेदक सम्यग्दृष्टि में |
सर्वार्थसिद्धिवत् |
मिथ्यादृष्टिमें |
तिर्यंच वत् |
सासादन में |
नरकवत् |
सम्यग्मिथ्यादृष्टिमें |
वेदक सम्य. वत् |
12. भव्यत्व मार्गणा :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
भव्यमें |
ओघवत् |
अभव्यमें |
ओघवत् |
13. संज्ञित्व मार्गणा :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
संज्ञि में |
ओघवत् |
असंज्ञि में |
तिर्यंच वत् |
14. आहारक मार्गणा :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
आहारक में |
ओघवत् |
अनाहारकमें |
X |
(8) अष्ट कर्म प्रकृतियोंके जघन्य अनुभाग की 64 स्थानीय स्वस्थान ओघ व आदेश प्ररूपणा -
( महाबंध 5/ $426-432/224-226)
1. ज्ञानावरण-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
मनःपर्यय ज्ञानावरणका अनुभाग |
सर्वतःस्तोक |
अवधि ज्ञानावरणका अनुभाग |
अनंतगुणा |
श्रुत ज्ञानावरणका अनुभाग |
अनंतगुणा |
आभिनिबोधिक ज्ञानावरणका अनुभाग |
अनंतगुणा |
केवल ज्ञानावरणका अनुभाग |
अनंतगुणा |
2. दर्शनावरण-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
अवधि दर्शनावरणका अनुभाग |
स्तोक |
अचक्षु दर्शनावरणका अनुभाग |
अनंतगुणा |
चक्षु दर्शनावरणका अनुभाग |
अनंतगुणा |
केवल दर्शनावरणका अनुभाग |
अनंतगुणा |
प्रचला दर्शनावरणका अनुभाग |
अनंतगुणा |
निद्रा दर्शनावरणका अनुभाग |
अनंतगुणा |
प्रचला प्रचला दर्शनावरणका अनुभाग |
अनंतगुणा |
निद्रा निद्रा दर्शनावरणका अनुभाग |
अनंतगुणा |
स्त्यानगृद्धि दर्शनावरणका अनुभाग |
अनंतगुणा |
3. वेदनीय-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
असाता का |
स्तोक |
साता का |
अनंतगुणा |
4. मोहनीय-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
संज्वलन लोभ का |
स्तोक |
संज्वलन माया का |
अनंतगुणा |
संज्वलन मान का |
अनंतगुणा |
संज्वलन क्रोध का |
अनंतगुणा |
पुरुष वेद का |
अनंतगुणा |
हास्य का |
अनंतगुणा |
रति का |
अनंतगुणा |
जुगुप्सा का |
अनंतगुणा |
भय का |
अनंतगुणा |
शोक का |
अनंतगुणा |
अरति का |
अनंतगुणा |
स्त्रीवेद का |
अनंतगुणा |
नपुंसक वेद का |
अनंतगुणा |
प्रत्याख्यान मान का |
अनंतगुणा |
प्रत्याख्यान क्रोध का |
विशेषाधिक |
प्रत्याख्यान माया का |
विशेषाधिक |
प्रत्याख्यान लोभ का |
विशेषाधिक |
अप्रत्याख्यान मान का |
अनंतगुणा |
अप्रत्याख्यान क्रोध का |
विशेषाधिक |
अप्रत्याख्यान माया का |
विशेषाधिक |
अप्रत्याख्यान लोभ का |
विशेषाधिक |
अनंतानुबंधी मान का |
अनंतगुणा |
अनंतानुबंधी क्रोध का |
विशेषाधिक |
अनंतानुबंधी माया का |
विशेषाधिक |
अनंतानुबंधी लोभ का |
विशेषाधिक |
5. आयु-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
तिर्यंचायु का |
स्तोक |
मनुष्यायु का |
अनंतगुणा |
नरकायु का |
अनंतगुणा |
देव आयु का |
अनंतगुणा |
6. नामकर्म-
(गति)-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
तिर्यंच गति का |
स्तोक |
नरक गति का |
अनंतगुणा |
मनुष्य गति का |
अनंतगुणा |
देव गति का |
अनंतगुणा |
(जाति) :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
चतुरिंद्रिय का |
स्तोक |
त्रींद्रिय का |
अनंतगुणा |
द्वींद्रिय का |
अनंतगुणा |
एकेंद्रिय का |
अनंतगुणा |
पंचेंद्रिय का |
अनंतगुणा |
(शरीर) :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
औदारिक का |
स्तोक |
वैक्रियक का |
अनंतगुणा |
तैजस का |
अनंतगुणा |
कार्मण का |
अनंतगुणा |
आहारक का |
अनंतगुणा |
(संस्थान) :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
न्यग्रोध परिणंडल का |
स्तोक |
स्वाति का |
अनंतगुणा |
कुब्ज का |
अनंतगुणा |
वामन का |
अनंतगुणा |
हुंडक का |
अनंतगुणा |
समचतुरस्र का |
अनंतगुणा |
(अंगोपांग) :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
औदारिक का |
स्तोक |
वैक्रियक का |
अनंतगुणा |
आहारक का |
अनंतगुणा |
(संहनन) :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
वज्र नाराच का |
स्तोक |
नाराच का |
अनंतगुणा |
अर्ध नाराच का |
अनंतगुणा |
कोलित का |
अनंतगुणा |
असंप्राप्त सृपाटिका का |
अनंतगुणा |
वज्र ऋषभ नाराच का |
अनंतगुणा |
(वर्ण) :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
अप्रशस्त वर्ण चतुष्क का |
स्तोक |
प्रशस्त वर्ण चतुष्क का |
अनंतगुणा |
(अंगोपांग) :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
तिर्यंच गत्यानपूर्वी का |
स्तोक |
नरक पूर्वी का |
अनंतगुणा |
मनुष्य पूर्वी का |
अनंतगुणा |
देव पूर्वी का |
अनंतगुणा |
(उपघातादि) :-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
उपघात का |
स्तोक |
परघात का |
अनंतगुणा |
उच्छ्वास का |
अनंतगुणा |
अगुरुलघु का |
अनंतगुणा |
7. गोत्र कर्म-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
नीच गोत्र का |
स्तोक |
ऊँच गोत्र का |
अनंतगुणा |
8. अंतराय-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
दान अंतराय का |
स्तोक |
लाभ अंतराय का |
अनंतगुणा |
भोग अंतराय का |
अनंतगुणा |
उपभोग अंतराय का |
अनंतगुणा |
वीर्य अंतराय का |
अनंतगुणा |
(9) अष्टकर्म प्रकृतियोंके उत्कृष्ट अनुभागकी 64 स्थानीय परस्थान ओघ प्ररूपणा
( महाबंध 5/ $436-439/228-229)
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
साता वेदनीय का |
सबसे तीव्र |
यशःकीर्ति का |
अनंतगुणा हीन |
उच्च गोत्र का |
ऊपर तुल्य |
देव गति का |
अनंतगुणा हीन |
कार्मण शरीर का |
अनंतगुणा हीन |
तैजस शरीर का |
अनंतगुणा हीन |
आहारक शरीर का |
अनंतगुणा हीन |
वैक्रियक शरीर का |
अनंतगुणा हीन |
मनुष्य गति का |
अनंतगुणा हीन |
औदारिक शरीर का |
अनंतगुणा हीन |
मिथ्यात्व का |
अनंतगुणा हीन |
केवल ज्ञानावरण का |
अनंतगुणा हीन |
केवल दर्शनावरण का |
ऊपर तुल्य |
असाता वेदनीय का |
अनंतगुणा हीन |
वीर्यांतराय का |
अनंतगुणा हीन |
अनंतानुबंधी लोभ का |
अनंतगुणा हीन |
अनंतानुबंधी माया का |
विशेष हीन |
अनंतानुबंधी क्रोध का |
विशेष हीन |
अनंतानुबंधी मान का |
विशेष हीन |
संज्वलन लोभ का |
अनंतगुणा हीन |
संज्वलन माया का |
विशेष हीन |
संज्वलन क्रोध का |
विशेष हीन |
संज्वलन मान का |
विशेष हीन |
प्रत्याख्यान लोभ का |
अनंतगुणा हीन |
प्रत्याख्यान माया का |
विशेष हीन |
प्रत्याख्यान क्रोध का |
विशेष हीन |
प्रत्याख्यान मान का |
विशेष हीन |
अप्रत्याख्यान लोभ का |
अनंतगुणा हीन |
अप्रत्याख्यान माया का |
विशेष हीन |
अप्रत्याख्यान क्रोध का |
विशेष हीन |
अप्रत्याख्यान मान का |
विशेष हीन |
मति ज्ञानावरण का |
अनंतगुणा हीन |
उपभोगांतराय का |
ऊपरतुल्य |
चक्षुर्दर्शनावरण का |
अनंतगुण हीन |
अचक्षुर्दर्शनावरण का |
अनंतगुण हीन |
श्रुत ज्ञानावरण का |
ऊपर तुल्य |
भोगांतराय का |
ऊपर तुल्य |
अवधि ज्ञानावरण का |
अनंतगुण हीन |
अवधि दर्शनावरण का |
ऊपर तुल्य |
लाभांतराय का |
ऊपर तुल्य |
मनःपर्यय ज्ञानावरण का |
अनंतगुण हीन |
स्त्यानगृद्धि का |
ऊपर तुल्य |
दानांतराय का |
ऊपर तुल्य |
नपुंसक वेद का |
अनंतगुण हीन |
अरति का |
अनंतगुण हीन |
शोक का |
अनंतगुण हीन |
भय का |
अनंतगुण हीन |
जुगुप्सा का |
अनंतगुण हीन |
निद्रा निद्रा का |
अनंतगुण हीन |
प्रचला प्रचला का |
अनंतगुण हीन |
निद्रा का |
अनंतगुण हीन |
प्रचला का |
अनंतगुण हीन |
अयशःकीर्ति का |
अनंतगुण हीन |
नीच गोत्र का |
ऊपर तुल्य |
नरक गति का |
अनंतगुण हीन |
तिर्यंच गति का |
अनंतगुण हीन |
स्त्री वेद का |
अनंतगुण हीन |
पुरुषवेद का |
अनंतगुण हीन |
रति का |
अनंतगुण हीन |
हास्य का |
अनंतगुण हीन |
देवायु का |
अनंतगुण हीन |
नरकायु का |
अनंतगुण हीन |
मनुष्यायु का |
अनंतगुण हीन |
तिर्यंचायु का |
अनंतगुण हीन |
नोट - इसकी आदेश प्ररूपणाके लिए देखो
( महाबंध/ पु.5/$439-442/पृ.231-233)
(10) अष्ट कर्म प्रकृतियोंके जघन्य अनुभागकी 64 स्थानीय परस्थान ओघ प्ररूपणा
(म.ब/पु.5/$443/पृ.233-234)
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
संज्वलन लोभ का |
सर्वतःस्तोक |
संज्वलन माया का |
अनंतगुणा |
संज्वलन मान का |
अनंतगुणा |
संज्वलन क्रोध का |
अनंतगुणा |
मनःपर्यय ज्ञानावरण का |
अनंतगुणा |
दानांतराय का |
ऊपर तुल्य |
अवधि ज्ञानावरण का |
अनंतगुणा |
अवधि दर्शनावरण का |
ऊपर तुल्य |
लाभांतराय का |
ऊपर तुल्य |
श्रुत ज्ञानावरण का |
अनंतगुणा |
अचक्षु दर्शनावरण का |
ऊपर तुल्य |
भोगांतराय का |
ऊपर तुल्य |
चक्षु दर्शनावरण का |
अनंतगुणा |
मतिज्ञानावरण का |
अनंतगुणा |
उपभोगांतराय का |
ऊपर तुल्य |
वीर्यांतराय का |
अनंतगुणा |
पुरुष वेद का |
अनंतगुणा |
हास्य का |
अनंतगुणा |
रति का |
अनंतगुणा |
जुगुप्सा का |
अनंतगुणा |
भय का |
अनंतगुणा |
शोक का |
अनंतगुणा |
अरति का |
अनंतगुणा |
स्त्री वेद का |
अनंतगुणा |
नपुंसक वेद का |
अनंतगुणा |
केवलज्ञानावरण का |
अनंतगुणा |
केवलदर्शनावरण का |
ऊपर तुल्य |
प्रचला का |
अनंतगुणा |
निद्रा का |
अनंतगुणा |
प्रत्याख्यानावरण मान का |
अनंतगुणा |
प्रत्याख्यानावरण क्रोध का |
विशेषाधिक |
प्रत्याख्यानावरण माया का |
विशेषाधिक |
प्रत्याख्यानावरण मान का |
विशेषाधिक |
अप्रत्याख्यानावरण मान का |
अनंतगुणा |
अप्रत्याख्यानावरण क्रोध का |
विशेषाधिक |
अप्रत्याख्यानावरण माया का |
विशेषाधिक |
अप्रत्याख्यानावरण मान का |
विशेषाधिक |
प्रचला प्रचला का |
अनंतगुणा |
निद्रा निद्रा का |
अनंतगुणा |
स्त्यानगृद्धि का |
अनंतगुणा |
अनंतानुबंधी मान का |
अनंतगुणा |
अनंतानुबंधी क्रोध का |
विशेषाधिक |
अनंतानुबंधी माया का |
विशेषाधिक |
अनंतानुबंधी लोभ का |
विशेषाधिक |
मिथ्यात्व का |
अनंतगुणा |
औदारिक शरीर का |
अनंतगुणा |
वैक्रिय शरीर का |
अनंतगुणा |
तिर्यंचायु का |
अनंतगुणा |
मनुष्यायु का |
अनंतगुणा |
तैजस शरीर का |
अनंतगुणा |
कार्मण शरीर का |
अनंतगुणा |
तिर्यंच गति का |
अनंतगुणा |
नरक गति का |
अनंतगुणा |
मनुष्य गति का |
अनंतगुणा |
देव गति का |
अनंतगुणा |
नीच गोत्र का |
अनंतगुणा |
अयशः कीर्ति का |
अनंतगुणा |
असाता वेदनीय का |
अनंतगुणा |
यशःकीर्ति का |
अनंतगुणा |
उच्च गोत्र का |
ऊपर तुल्य |
साता वेदनीय का |
अनंतगुणा |
नरकायु का |
अनंतगुणा |
देवायु का |
अनंतगुणा |
आहारक शरीर का |
अनंतगुणा |
नोट - इस संबंधी आदेश प्ररूपणा के लिए देखो
( महाबंध/ पु.5/$445-450/पृ.235-239)
11. एक समय प्रबद्ध प्रदेशाग्र में सर्व व देशघाती अनुभागके विभाग की अपेक्षा -
( गोम्मटसार कर्मकांड 197/ पृ.256)
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
सर्व घाती भाग |
सर्व द्रव्य/अनंत |
देश घाती भाग |
शेष बहु भाग |
12. एक समय प्रबद्ध प्रदेशाग्र में निषेक सामान्य के विभाग की अपेक्षा -
( धवला/ पु.12/4,2,7,63/39-40)
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
चरम स्थिति में |
स्तोक |
प्रथम स्थिति में |
असं.गुणे |
अप्रथम व अचरम स्थितियोंमें |
असं.गुणे |
अप्रथम में |
विशेषाधिक |
अचरम में |
विशेषाधिक |
सब स्थितियोंमें |
विशेषाधिक |
13. एक समय प्रबद्ध में अष्ट कर्म प्रकृतियों के प्रदेशाग्र विभाग की अपेक्षा -
1. स्वस्थानप्ररूपणा-
मूल प्रकृति विभाग-
( पंचसंग्रह / प्राकृत 4/496-497 ) ( धवला 15/35 ) (गो.क/मू.192,196/225)
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
आयु कर्म का भाग |
स्तोक |
नाम कर्म का भाग |
विशेषाधिक |
गोत्र कर्म का भाग |
ऊपर तुल्य |
ज्ञानावरण कर्म का भाग |
विशेषाधिक |
दर्शनावरण कर्म का भाग |
ऊपर तुल्य |
अंतराय कर्म का भाग |
ऊपर तुल्य |
मोहनीय कर्म का भाग |
विशेषाधिक |
वेदनीय कर्म का भाग |
विशेषाधिक |
उत्तर प्रकृति विभाग स्वस्थान अपेक्षा-
1. ज्ञानावरण के द्रव्य में-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
मति ज्ञानावरण का भाग |
अधिक |
श्रुत ज्ञानावरण का भाग |
विशेष हीन |
अवधि ज्ञानावरण का भाग |
विशेष हीन |
मनःपर्यय का भाग |
विशेष हीन |
केवल ज्ञानावरण का भाग |
विशेष हीन |
2. दर्शनावरण के द्रव्य में-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
चक्षु दर्शनावरण का भाग |
अधिक |
अचक्षु दर्शनावरण का भाग |
विशेष हीन |
अवधि दर्शनावरण का भाग |
विशेष हीन |
केवल दर्शनावरण का भाग |
विशेष हीन |
निद्रा दर्शनावरण का भाग |
विशेष हीन |
निद्रा निद्रा दर्शनावरण का भाग |
विशेष हीन |
प्रचला दर्शनावरण का भाग |
विशेष हीन |
प्रचला प्रचला दर्शनावरण का भाग |
विशेष हीन |
स्त्यानगृद्धि दर्शनावरण का भाग |
विशेष हीन |
3. वेदनीय के द्रव्य में -
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
साता का भाग |
अन्यतमका ही द्रव्य आता है अतः अल्प बहुत्व नहीं होता |
असाता का भाग |
- |
4. मोहनीय के द्रव्य में -
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
अनंतानुबंधी चतुष्क का भाग |
अधिक |
अप्रत्याख्यान चतुष्क का भाग |
विशेष हीन |
प्रत्याख्यान चतुष्क का भाग |
विशेष हीन |
संज्वलन चतुष्क का भाग |
विशेष हीन |
हास्य का भाग |
विशेष हीन |
रति का भाग |
विशेष हीन |
अरति का भाग |
विशेष हीन |
शोक का भाग |
विशेष हीन |
भय का भाग |
विशेष हीन |
जुगुप्सा का भाग |
विशेष हीन |
स्त्री वेद का भाग |
विशेष हीन |
पुरुष वेद का भाग |
विशेष हीन |
नपुंसक वेद का भाग |
विशेष हीन |
5. आयु के द्रव्य में-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
चारों आयु में से |
अन्यतमका ही द्रव्य आता है अतः अल्पबहुत्व नहीं |
6. नाम के द्रव्य में-
गति, जाति, शरीर, अंगोपांग, निर्माण, बंधन, संघात, संस्थान, संहनन, स्पर्श, रस, गंध, वर्ण, आनुपूर्वी, अगुरुलघु, उपघात, परघात, आतप, उद्योत, उच्छ्वास, विहायोगति, प्रत्येक शरीर, त्रस, सुभग, सुस्वर, शुभ, बादर, पर्याप्ति, स्थिर, आदेय, यशःकीर्ति, तीर्थंकर — इसी क्रम से प्रत्येक में अपने-अपने से पूर्व की अपेक्षा विशेषहीन भाग जानना । शुभाशुभ युगलों में अल्पबहुत्व नहीं है क्योंकि अन्यतम का द्रव्य जाता है।
7. गोत्र के द्रव्य में-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
ऊँच गोत्र का भाग |
अन्यतमका ही द्रव्य आता है अतः अल्पबहुत्व नहीं |
नीच गोत्र का भाग |
- |
8. अंतराय के द्रव्य में-
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
दानांतराय का भाग |
स्तोक |
लाभ दानांतराय का भाग |
विशेषाधिक |
भोग दानांतराय का भाग |
विशेषाधिक |
उपभोग दानांतराय का भाग |
विशेषाधिक |
वीर्य दानांतराय का भाग |
विशेषाधिक |
2. परस्थान प्ररूपणा-
(उत्कृष्ट प्रकृति प्रक्रम) (ध.15/36-37)
क्रम |
कर्म का नाम |
अल्पबहुत्व |
1. |
अप्रत्याख्यान मान में प्रदेश |
सर्वतः स्तोक |
2. |
अप्रत्याख्यान क्रोध में प्रदेश |
विशेषाधिक |
3. |
अप्रत्याख्यान माया में प्रदेश |
विशेषाधिक |
4. |
अप्रत्याख्यान लोभ में प्रदेश |
विशेषाधिक |
5. |
प्रत्याख्यान मान में प्रदेश |
विशेषाधिक |
6. |
प्रत्याख्यान क्रोध में प्रदेश |
विशेषाधिक |
7. |
प्रत्याख्यान माया में प्रदेश |
विशेषाधिक |
8. |
प्रत्याख्यान लोभ में प्रदेश |
विशेषाधिक |
9. |
अंतानुबंधी मान में प्रदेश |
विशेषाधिक |
10. |
अनंतानुबंधी क्रोध में प्रदेश |
विशेषाधिक |
11. |
अनंतानुबंधी माया में प्रदेश |
विशेषाधिक |
12. |
अनंतानुबंधी लोभ में प्रदेश |
विशेषाधिक |
13. |
मिथ्यात्व में प्रदेश |
विशेषाधिक |
14. |
केवल दर्शनावरण में प्रदेश |
विशेषाधिक |
15. |
प्रचला में प्रदेश |
विशेषाधिक |
16. |
निद्रा में प्रदेश |
विशेषाधिक |
17. |
प्रचला प्रचला में प्रदेश |
विशेषाधिक |
18. |
निद्रा निद्रा में प्रदेश |
विशेषाधिक |
19. |
स्त्यानगृद्धि में प्रदेश |
विशेषाधिक |
20. |
केवल ज्ञानावरण में प्रदेश |
विशेषाधिक |
21. |
आहारक शरीर नामकर्म प्रदेश |
अनंत गुणे |
22. |
वैक्रियक शरीर नामकर्म प्रदेश |
विशेषाधिक |
23. |
औदारिक शरीर नामकर्म प्रदेश |
विशेषाधिक |
24. |
तैजस शरीर नामकर्म प्रदेश |
विशेषाधिक |
25. |
कार्मण शरीर नामकर्म प्रदेश |
विशेषाधिक |
26. |
देवगति नामकर्म प्रदेश |
सं.गुणे |
27. |
नरक गति नामकर्म प्रदेश |
सं.गुणे |
28. |
मनुष्यगति नामकर्म प्रदेश |
सं.गुणे |
29. |
तिर्यग्गति नामकर्म प्रदेश |
सं.गुणे |
30. |
अशयः कीर्ति नामकर्म प्रदेश |
सं.गुणे |
31. |
जुगुप्सा नो कषाय प्रदेश |
सं.गुणे |
32. |
भय नो कषाय प्रदेश |
विशेषाधिक |
33. |
हास्य-शोक नो कषाय प्रदेश |
विशेषाधिक (दोनों तुल्य) |
34. |
रति-अरति नो कषाय प्रदेश |
विशेषाधिक (दोनों तुल्य) |
35. |
स्त्री-नपुंसक वेद नो कषाय प्रदेश |
विशेषाधिक (दोनों तुल्य) |
36. |
दानांतराय प्रदेश |
सं.गुणे |
37. |
लाभांतराय प्रदेश |
विशेषाधिक |
38. |
भोगांतराय प्रदेश |
विशेषाधिक |
39. |
परिभोगांतराय प्रदेश |
विशेषाधिक |
40. |
वीर्यांतराय प्रदेश |
विशेषाधिक |
41. |
संज्वलन क्रोध प्रदेश |
विशेषाधिक |
42. |
मनःपर्यय ज्ञानावरण में |
विशेषाधिक |
43. |
अवधि ज्ञानावरण में |
विशेषाधिक |
44. |
श्रुत ज्ञानावरण में |
विशेषाधिक |
45. |
मति ज्ञानावरण में |
विशेषाधिक |
46. |
संज्वलन गान में |
विशेषाधिक |
47. |
अवधि दर्शनावरण में |
विशेषाधिक |
48. |
अचक्षु दर्शनावरण में |
विशेषाधिक |
49. |
चक्षु दर्शनावरण में प्रदेश |
विशेषाधिक |
50. |
पुरुष वेद प्रदेश |
विशेषाधिक |
51. |
संज्वलन माया प्रदेश |
विशेषाधिक |
52. |
अन्यतर आयु प्रदेश |
विशेषाधिक |
53. |
नीच गोत्र प्रदेश |
विशेषाधिक |
54. |
संज्वलन लोभ प्रदेश |
विशेषाधिक |
55. |
असाता वेदनीय प्रदेश |
विशेषाधिक |
56. |
उच्च गोत्र प्रदेश |
विशेषाधिक |
57. |
यशःकीर्ति प्रदेश |
ऊपर तुल्य |
58. |
साता वेदनीय प्रदेश |
विशेषाधिक |
जघन्य प्रकृति प्रक्रम-
क्रम |
कर्म का नाम |
अल्पबहुत्व |
नं.1 से 20 तक |
उत्कृष्ट वत् |
|
21. |
औदारिक शरीर नामकर्म में |
अनंत गुणे |
22. |
तैजस शरीर नामकर्म में |
विशेषाधिक |
23. |
कार्मण शरीर नामकर्म में |
विशेषाधिक |
24. |
तिर्यग्गति नामकर्म में |
सं.गुणे |
25. |
यशःकीर्ति नामकर्म में |
विशेषाधिक |
26. |
अयशकीर्ति नामकर्म में |
ऊपर तुल्य |
27. |
मनुष्य गति नामकर्म में |
विशेषाधिक |
28. |
जुगुप्सा नो कषाय में |
सं.गुणा |
29. |
भय नो कषाय में |
विशेषाधिक |
30. |
हास्य-शोक नो कषाय में |
विशेषाधिक (दोनों तुल्य) |
31. |
रति-अरति नो कषाय में |
विशेषाधिक (दोनों तुल्य) |
32. |
अन्यत वेद में |
विशेषाधिक |
33. |
संज्वलन मान में |
विशेषाधिक |
34. |
संज्वलन क्रोध में |
विशेषाधिक |
35. |
संज्वलन माया में |
विशेषाधिक |
36. |
संज्वलन लोभ में |
विशेषाधिक |
37. |
दानांतराय में |
विशेषाधिक |
38. |
लाभांतराय में |
विशेषाधिक |
39. |
भोगांतराय में |
विशेषाधिक |
40. |
उपभोगांतराय में |
विशेषाधिक |
41. |
वीर्यांतराय में |
विशेषाधिक |
42. |
मनःपर्यय ज्ञानावरण में |
विशेषाधिक |
43. |
अवधि ज्ञानावरण में |
विशेषाधिक |
44. |
श्रुत ज्ञानावरण में |
विशेषाधिक |
45. |
मति ज्ञानावरण में |
विशेषाधिक |
46. |
अवधि दर्शनावरण में |
विशेषाधिक |
47. |
अचक्षु दर्शनावरण में |
विशेषाधिक |
48. |
चक्षु दर्शनावरण में |
विशेषाधिक |
49. |
उच्च नीच गोत्र में |
सं.गुणे (दोनों तुल्य) |
50. |
साता-असाता वेदनीय में |
विशेषाधिक |
51. |
वैक्रियक शरीर नामकर्म में |
असं.गुणे |
52. |
देव गति नामकर्म में |
सं.गुणे |
53. |
मनुष्य गति नामकर्म में |
असं.गुणे |
54. |
तिर्यग्गति नामकर्म में |
ऊपर तुल्य |
55. |
नरक गति नामकर्म में |
असं.गुणे |
57. |
देव व नरक आयु नामकर्म में |
असं.गुणे |
58. |
आहारक शरीर नामकर्म में |
असं.गुणे |
(14) जीव समासों मे विभिन्न प्रदेश बंधों की अपेक्षा
( षट्खंडागम 10/4,2,4/ सू.174/431)
पदेस अप्पबहुए त्ति जहा जोगअप्पाबहुगं णीदं तधा णेदव्वं। णवरि पदेसा अप्पाए त्ति भणिदव्वं ।।174।।
= जिस प्रकार योग अल्पबहुत्वकी प्ररूपणा की गयी है (देखो नं.8 प्ररूपणा) उसी प्रकार अल्पबहुत्व की प्ररूपणा करना चाहिए। विशेष इतना है कि योग के स्थानोंमें यहाँ प्रदेश ऐस कहना चाहिए।
नोट-योगके एक अविभाग प्रतिच्छेदमें भी अनंत क्रम प्रदेशोंके अपकर्षणकी शक्ति है।
(15) आठ आकर्षों की अपेक्षा आयुबंधके जीवोंकी प्ररूपणा
( गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका 518/915/2 )
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
आठ अपकर्षों द्वारा करनेवाले |
स्तोक |
7 अपकर्षों द्वारा करनेवाले |
संख्यात गुणे |
6 अपकर्षों द्वारा करनेवाले |
संख्यात गुणे |
5 अपकर्षों द्वारा करनेवाले |
संख्यात गुणे |
4 अपकर्षों द्वारा करनेवाले |
संख्यात गुणे |
3 अपकर्षों द्वारा करनेवाले |
संख्यात गुणे |
2 अपकर्षों द्वारा करनेवाले |
संख्यात गुणे |
1 अपकर्षों द्वारा करनेवाले |
संख्यात गुणे |
(16) आठों अपकर्षोंमें आयु बंधके काल की अपेक्षा
( गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका 518/915/8 )
संकेत :- 8 वाले का = 8 अपकर्षों द्वार आयु बंध करनेवाले जीवका 8 वें का = आठवें अपकर्षका बंध काल
सं. = संख्यात वि.अ. = विशेषाधिक
आयु बंध काल |
ज.व उ. काल |
अल्पबहुत्व |
8 वाले का 8 वे का काल |
ज. |
स्तोक |
- |
उ. |
वि.अ |
8 वाले का 7 वे का काल |
ज. सं.गुणा |
|
- |
उ. |
वि.अ. |
7 वाले का 7 वे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
8 वाले का 6 वे का काल |
ज. संगुणा |
|
- |
उ. |
वि.अ. |
7 वाले का 6 वे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
6 वाले का 6 वे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
8 वाले का 5 वे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
7 वाले का 5 वे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
6 वाले का 5 वे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
5 वाले का 5 वे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
8 वाले का 4 थे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
7 वाले का 4 थे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
6 वाले का 4 थे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
5 वाले का 4 थे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
4 वाले का 4 थे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
8 वाले का 3 रे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
7 वाले का 3 रे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
6 वाले का 3 रे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
5 वाले का 3 रे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
4 वाले का 3 रे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
3 वाले का 3 रे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
8 वाले का 2 रे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
7 वाले का 2 रे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
6 वाले का 2 रे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
5 वाले का 2 रे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
4 वाले का 2 रे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
3 वाले का 2 रे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
2 वाले का 2 रे का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
8 वाले का 1 ले का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
7 वाले का 1 ले का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
6 वाले का 1 ले का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
5 वाले का 1 ले का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
4 वाले का 1 ले का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
3 वाले का 1 ले का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
2 वाले का 1 ले का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
1 वाले का 1 ले का काल |
ज. |
सं.गुणा |
- |
उ. |
वि.अ. |
10. अष्टकर्म संक्रमण व निर्जरा की अपेक्षा अल्पबहुत्व प्ररूपणा-
1. भिन्न गुणधारी जीवोंमें गुण श्रेणी रूप प्रदेश निर्जरा की 11 स्थानीय सामान्य प्ररूपणा -
( षट्खंडागम 12/4,2,7/ सू.175-185/80-86) ( कषायपाहुड़ 1/1,1/ गा.58-59/106) ( तत्त्वार्थसूत्र/9/45 ), ( सर्वार्थसिद्धि/9/45/151-154 ) ( धवला 10/4,2,4,74/295-296 ) ( गोम्मटसार जीवकांड/66-67/167 )
सूत्र |
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
175 |
दर्शन मोह उपशमक सम्मुख (या सातिशय मिथ्यादृष्टि)की |
सर्वतःस्तोक |
176 |
संयतासंयत की |
असं.गुणी |
177 |
अधःप्रवृत्त स्वस्थान संयत अर्थात् अप्रमत्त व प्रमत्त संयत की |
असं.गुणी |
178 |
अनंतानुबंधी विसंयोजक की |
असं.गुणी |
179 |
दर्शन मोह क्षपक की |
असं.गुणी |
180 |
चारित्र मोह उपशमक- |
|
- |
अपूर्व करण की |
असं.गुणी |
- |
अनिवृत्ति करण की |
असं.गुणी |
- |
सूक्ष्म सांपराय की |
असं.गुणी |
181 |
उपशांत कषाय वीतराग (11) की |
असं.गुणी |
182 |
चारित्र मोह क्षपक की |
|
- |
अपूर्व करण की |
असं.गुणी |
- |
अनिवृत्ति करण की |
असं.गुणी |
- |
सूक्ष्म सांपराय की |
असं.गुणी |
183 |
क्षीण कषाय की (12) की |
असं.गुणी |
184 |
स्व स्थान अधः प्रवृत्त संयोग केवलीकी ( गोम्मटसार जीवकांड/ जी.प्र/67/168/2) |
असं.गुणी |
185 |
योग निरोध केवली की |
असं.गुणी |
2. भिन्न गुणधारी जीवोंमे गुण श्रेणी प्रदेश निर्जरा के काल की 11 स्थानीय प्ररूपणा -
( षट्खंडागम 12/4,2,7/ सू.186-196/85-86)
सूत्र |
स्वामी |
अल्पबहुत्व |
186 |
योग निरोध केवली का |
सर्वतः स्तोक |
- |
समुद्धात केवली का |
सं.गुणा |
(प्ररूपणा नं.1 के आधार पर) |
||
187 |
स्व स्थान अधःप्रवृत्त संयोग केवली का |
सं.गुणा |
188 |
क्षीण कषाय वीतराग का |
सं.गुणा |
189 |
चारित्र मोह क्षपक- |
|
- |
सूक्ष्म सांपराय का |
सं.गुणा |
- |
अनिवृत्ति करण का |
सं.गुणा |
- |
अपूर्व करण का |
सं.गुणा |
190 |
उपशांत कषाय वीतराग का |
सं.गुणा |
191 |
चारित्र मोह उपशामक- |
|
- |
सूक्ष्म सांपराय का |
सं.गुणा |
- |
अनिवृत्ति करण का |
सं.गुणा |
- |
अपूर्व करण का |
सं.गुणा |
192 |
दर्शन मोह क्षपक का |
सं.गुणा |
193 |
अनंतानुबंधी विसंयोजक का |
सं.गुणा |
194 |
स्व स्थान अधःप्रवृत्त प्रमत्तासंयत का |
सं.गुणा |
195 |
संयतासंयत का |
सं.गुणा |
196 |
दर्शन मोह उपशमक का (सातिशय मिथ्यादृष्टि का) |
सं.गुणा |
3. पाँच प्रकार के संक्रमणों द्वारा हत, कर्म प्रदेशों के परिमाण में अल्पबहुत्व-
( गोम्मटसार कर्मकांड/430-435/587 )
क्रम |
उत्तरोत्तर भागहारों के नाम |
अल्पबहुत्व |
1 |
सर्व संक्रमण का भागहार |
सर्वतःस्तोक |
2 |
गुण संक्रमण का भागहार |
असं.गुणा |
- |
- |
गुणकार=पल्य/असं. |
- |
उत्कर्षण भागहार |
गुणकार=पल्य/असं. |
- |
उपकर्षण भागहार |
ऊपर तुल्य |
3 |
अधः प्रवृत्त संक्रमण द्वारा हत |
पल्य/असं.गुणे |
- |
ज.सं.उ. योगों का गुणकार |
पल्य/असं.गुणे |
- |
कर्म स्थितिकी नाना गुणहानि शलाका |
पल्य के अर्द्धच्छेद रूप असं.गुणा |
- |
पल्य के अर्धच्छेद |
विशेषाधिक |
- |
पल्य का प्रथम वर्गमूल |
असं.गुणा |
- |
कर्म स्थिति की एक गणहानिके समयों का परिमाण |
असं.गुणा |
- |
कर्म स्थिति की अन्योन्याभ्यस्त राशि |
असं.गुणा |
- |
पल्य |
असं.गुणा |
4 |
कर्म की उत्कृष्ट स्थिति |
700Xकोड़Xकोड़Xकोड़Xकोड़ गुणा |
- |
विध्यात संक्रमण का भागहार |
असं.गुणा |
- |
- |
गुणकार=सूच्यंगु/असं. |
5 |
उद्वेलना का भागहार |
गुणकार=सूच्यंगु/असं. |
- |
कर्मों के अनुभाग की नाना गुण हानि शलाका |
अनंत गुणी |
- |
कर्मानुभाग की एक गुण हानि का आयाम |
अनंतगुणी |
- |
कर्मानुभाग की द्व्यर्ध गुण हानि का आयाम |
डेढ़ गुणी |
- |
कर्मानुभाग की 2 गुणी हानि |
एक गुणहानि से दुगुनी |
- |
कर्मानुभाग की अन्योन्याभ्यस्त राशि |
अनंत गुणी |
11. अष्टकर्मबंध उदय सत्त्वादि 10 करणों की अपेक्षा भुजगारादि पदोंमें पल्यबहुत्वकी ओघ व आदेश प्ररूपणा -
नोट-इस सारणी मे केवल शास्त्र के पृष्ठादि ही दर्शाये गये हैं. अतः उस उस प्ररूपणा को देखने के लिए शास्त्र का वह वह स्थान देखिये।
1.उदीरणा संबंधी अल्पबहुत्व की ओघ व आदेश प्ररूपणा-(ध.15/पृ .)
विषय |
प्रकृति विषयक |
स्थिति विषयक |
अनुभाग विषयक |
प्रदेश विषयक |
||||
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
|
1. स्वामित्व सामान्य |
47 |
80-81 |
- |
147-157 |
- |
216-231 |
- |
261-264 |
2. 8,7 आदि प्रकृतियों की उदीरणा रूप भंगोंके स्वामित्व की अपेक्षा |
50 |
85 |
- |
- |
- |
- |
- |
- |
3. भुजगारादि पदों की अपेक्षा |
53 |
97 |
- |
162-164 |
- |
236-237 |
- |
261-264 |
4. ज.उ.वृद्धि हानि की अपेक्षा |
- |
- |
- |
164-170 |
- |
249-252 |
- |
271-273 |
2. उदय संबंधी अल्पबहुत्वकी ओघ व आदेश प्ररूपणा-(ध.15/पृ.)
विषय |
प्रकृति विषयक |
स्थिति विषयक |
अनुभाग विषयक |
प्रदेश विषयक |
|||||
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
||
1. स्वामित्व सामान्य अपेक्षा |
285 |
288-289 |
294 |
295 |
296 |
296 |
296 |
309-324 |
|
2. भुजगारादि पदोंके स्वामित्व की अपेक्षा |
- |
- |
294 |
295 |
296 |
296 |
296 |
329 |
|
3. पद निक्षेप सामान्य की अपेक्षा |
- |
- |
294 |
295 |
296 |
296 |
296 |
335 |
|
4. पद निक्षेपोंके स्वामित्व की अपेक्षा |
- |
- |
294 |
295 |
296 |
296 |
296 |
- |
|
5. वृद्धि हानि की अपेक्षा |
- |
- |
294 |
295 |
296 |
296 |
296 |
- |
|
6 वृद्धि हानि के स्वामित्व की अपेक्षा |
- |
- |
294 |
295 |
296 |
296 |
296 |
- |
3. उपशमना संबंधी अल्पबहुत्व की ओघ व आदेश प्ररूपणा-(ध.15/पृ.)
विषय |
प्रकृति विषयक |
स्थिति विषयक |
अनुभाग विषयक |
प्रदेश विषयक |
|||||
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
||
1. स्वामित्व सामान्य अपेक्षा |
277 |
279 |
- |
- |
- |
- |
- |
- |
|
2. भुजगारादि की अपेक्षा |
277 |
279 |
- |
- |
- |
- |
- |
- |
|
3. अन्य सर्व विकल्पों की अपेक्षा |
280 |
280 |
281 |
281 |
282 |
282 |
282 |
282 |
4. संक्रमण संबंधी अल्पबहुत्वकी ओघ व आदेश प्ररूपणा-(ध.15/पृ.)
विषय |
प्रकृति विषयक |
स्थिति विषयक |
अनुभाग विषयक |
प्रदेश विषयक |
|||||
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
||
1. सर्व विकल्पों की अपेक्षा |
283 |
283 |
283 |
283 |
284 |
284 |
284 |
284 |
5. बंध संबंधी अल्पबहुत्वकी ओघ व आदेश प्ररूपणा-(म.ब./पु./पृ.)
विषय |
प्रकृति विषयक |
स्थिति विषयक |
अनुभाग विषयक |
प्रदेश विषयक |
||||
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
|
1. बंधक अबंधक जीव सा. की अपेक्षा |
- |
1/414-536 |
- |
2/2-18 |
- |
- |
- |
- |
2. ज.उ. पदों के बंधकों सा. की अपेक्षा |
- |
- |
2/223-270 |
3/567-611 |
4/260-266 |
4/417/450 |
6/99-100 |
- |
3. भुजगारादि पदोंके बंधकों सा. की अपेक्षा |
- |
- |
2/338-342 |
3/808-8931 |
4/303-308 |
5/548/562 |
6/143-145 |
- |
4. ज.उ.वृद्धि हानिके बंधक सा. की अपेक्षा |
- |
- |
2/353-356 |
- |
4/342-352 |
5/605-610 |
6/153 |
- |
5. षट्स्थान हानिके बंधक सा. की अपेक्षा |
- |
- |
2/406-414 |
3/975-978 |
4/368-370 |
5/625 |
6/157-164 |
- |
6. बंध अध्यवसाय स्थान सा. की अपेक्षा |
- |
- |
- |
3/982-992 |
- |
5/628-644 |
- |
- |
6. मोहनीय कर्म सत्व संबंधी अल्पबहुत्वकी स्व व पर स्थानीय ओघ व आदेश प्ररूपणा -
( महाबंध/ प.पृ.)
विषय |
प्रकृति विषयक |
स्थिति विषयक |
अनुभाग विषयक |
प्रदेश विषयक |
|||||
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
मूल प्र. |
उत्तर प्रकृति |
||
1. ज.उ. पदों के बंधक |
- |
- |
3/164-168 |
3/871-916 |
5/139-140 |
5/429-470 |
- |
- |
|
2. भुजगारादि पदोंके बंधक |
- |
- |
3/224-225 |
4/177-195 |
5/161 |
5/510-513 |
- |
- |
|
3. ज.उ. वृद्धि हानि रूप पदोंके बंधक |
2/482-484 |
- |
3/241-245 |
4/204-222 |
- |
5/566-569 |
- |
- |
|
4. षट्स्थान वृद्धि हानि रूप पदों के बंधक |
2/533-539 |
- |
3/343-354 |
4/460-606 |
5/185 |
- |
- |
- |
|
5. बंधक सामान्यका प्रमाण |
1/393-394 |
- |
- |
- |
- |
- |
- |
- |
|
6. प्रकृति सत्त्व असत्त्व का स्वामित्व |
2/187-206 |
- |
- |
- |
- |
- |
- |
- |
|
7. 28-24 आदि सत्त्व स्थानोंके काल की अपेक्षा |
2/384-390 |
- |
- |
4/616-640 |
- |
- |
- |
- |
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8. उ. स्वामि की अपेक्षा |
2/391-416 |
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9. सत्समुत्पत्तिकादि पदोंके स्वामी |
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5/188 |
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10. ज.उ. वृद्धि हानि पदों की अपेक्षा |
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5/167-168 |
5/526-530 |
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7. अष्टकर्म बंध वेदनामें स्थिति, अनुभाग, प्रदेश व प्रकृति बंधों की अपेक्षा ओघ व आदेश स्व पर स्थान अल्पबहुत्व प्ररूपणा -
1.स्थिति बंधवेदना-
प्रमाण |
विषय |
1 षट्खंडागम 11/4,2,6/ सू.25-35/137-139 |
अष्टकर्मकी जघन्य उत्कृष्ट स्थिति सबंधी स्थिति वेदनाकी परस्थान प्ररूपणा |
2 षट्खंडागम 11/4,2,6/ सू.123-164/207-279 |
अष्टकर्मकी जघन्य उत्कृष्ट आबाधा व कांडकों संबंधी स्व पर स्थान प्ररूपणा सामान्य |
3 धवला 11/4,2,6/ सू.164/280-308 |
अष्टकर्म की जघन्य उत्कृष्ट आबाधा व कांडकों संबंधी स्व पर स्थान प्ररूपणा विशेष |
4 षट्खंडागम 11/4,2,6/ सू.182-203/321-332 |
साता असाता के द्वितीय, त्रितीय, चतुर्थ आदि स्थानोंके अनुभाग बंधक जीव विशेषोंमें अष्टकर्मकी जघन्य उत्कृष्ट स्थिति पदोंका परस्थान अल्पबहुत्व |
5 षट्खंडागम 11/4,2,6/ सू.206-238/334-344 |
उपरोक्त जीवोंमें अष्टकर्मोंके स्थिति बंध स्थानोंका परस्थान अल्पबहुत्व |
6 षट्खंडागम 11/4,2,6/ सू.241-245/346-349 |
अष्टकर्म स्थिति बंधके सामान्य अध्यवसाय स्थानों संबंधी परस्थान प्ररूपणा |
7 षट्खंडागम 11/4,2,6/ सू.252-269/352-362 |
अष्टकर्म स्थिति बंधके जघन्य उत्कृष्ट अध्यवसाय स्थानों संबंधी परस्थान प्ररूपणा |
8 षट्खंडागम 11/4,2,6/ सू.272-279/366-368 |
अष्टकर्म स्थिति बंधके जघन्य उत्कृष्ट स्थानों के योग्य तीव्र मंद परिणामों संबंधी प्ररूपणा |
9 महाबंध 2/ सू.2/2 |
चौदह जीव समासोंमें मूल प्रकृति स्थिति बंध स्थानों संबंधी प्ररूपणा |
10 महाबंध 2/ सू.5-16/6-12 |
चौदह जीव समासोंमें मूल प्रकृति स्थिति बंध स्थानों में प्रथम समयसे लेकर अंतिम समय तकके निषेकों संबंधी प्ररूपणा |
11 महाबंध 2/ सू.18-22/13-16 |
चौदहजीव समासोंमें मूल प्रकृतिके ज. उ. स्थिति बंधस्थानों, आबाधा स्थानों व कांडकों संबंधी |
12 महाबंध 2/ सू.19-21/228-229 |
नं. 10 वत् ही परंतु उत्तर प्रकृति की अपेक्षा |
13. महाबंध 2/ सू.23-24/230 |
नं. 12 वत् ही परंतु उत्तर प्रकृति की अपेक्षा |
2. अनुभाग बंध वेदना-
प्रमाण |
विषय |
1 षट्खंडागम 12/4,2,7/ सू40-64/अ.सू.1-3/31-44 |
अष्टकर्म मूलोत्तर प्रकृति के ज.उ. अनुभागोदय संबंधी स्व व पर स्थान प्ररूपणा |
2 षट्खंडागम 12/4,2,7/ सू.64-117/44-59 |
अष्टकर्म उत्तर प्रकृति उत्कृष्ट अनुभाग बंधकी परस्थान प्ररूपणा |
3 धवला 12/4,2,7,117/60-62 |
अष्टकर्म उत्तर प्रकृति उत्कृष्ट अनुभाग बंधकी स्वस्थान प्ररूपणा |
4 षट्खंडागम 12/4,2,7/ सू.118-174/65-75 |
अष्टकर्म उत्तर प्रकृति जघन्य अनुभाग बंधकी परस्थान प्ररूपणा |
5 धवला 12/4,2,7,174/75-78 |
अष्टकर्म उत्तर प्रकृति जघन्य अनुभाग बंधकी स्वस्थान प्ररूपणा |
6 धवला 12/4,2,7,201/114-127 |
14 जीव समासोंमें ज.उ. अनुभाग बंध स्थानोंके अंतर संबंधी प्ररूपणा |
7 धवला 12/4,2,7,202/128 |
14 जीव समासोंमें ज. अनु. बंध व ज. अनु. सत्त्व संबंधी परस्थान प्ररूपणा |
8 षट्खंडागम 12/4,2,7/ सू.236-240/205-207 |
यव मध्य रचना क्रममें अनुभाग बंध अध्यवसाय स्थानों संबंधी प्ररूपणा |
षट्खंडागम 12/4,2,7/ सू.290-292/266-267 |
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9 षट्खंडागम 12/4,2,7/ सू.276-289/247-265 |
ज.उ. बंध अध्यवसायके सामान्यके सामान्य स्थानोमें जीवोंके प्रमाण संबंधी प्ररूपणा |
षट्खंडागम 12/4,2,7/ सू.304-314/272-274 |
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10 षट्खंडागम 12/4,2,7/ सू.293-303/267-272 |
अनुभाग बंध अध्यवसाय स्थानोंमें जीवोंके स्पर्शन काल संबंधी प्ररूपणा |
3. प्रदेश बंध वेदना-
प्रमाण |
विषय |
1 धवला 10/117-121 |
अष्टकर्म प्रकृतियोंके ज. उ. प्रदेशोंके सत्त्व संबंधी प्ररूपणा |
2 षट्खंडागम 10/4,2,4/ सू.124-143/385-394 |
अष्टकर्म प्रकृतियोंके उ.ज. पदों संबंधी प्ररूपणा |
3 षट्खंडागम 10/4,2,4/ सू.174/431 |
प्रदेश बंध का अल्पबहुत्व योग स्थानों के अल्पबहुत्व वत् ही है |
4 धवला 10/4,2,4,181/448/16 |
प्रथमादि योग वर्गणाओंमें जीव प्रदेशों संबंधी प्ररूपणा |
5 धवला 10/4,2,4,186/479 |
योग वर्गणाओंके अविभाग प्रतिच्छेदों संबंधी प्ररूपणा |
6 धवला 11/4,2,4,205/502 |
योगोंमें गुण हानि वृद्धि संबंधी प्ररूपणा |
7 धवला 10/4,2,4,28/95-98 |
ज.उ. योग स्थानोंमें स्थित जीवोंके प्रमाण संबंधी प्ररूपणा |
8 धवला 11/4,2,4,17/33/1 |
उत्कृष्ट क्षेत्रोमें स्थित जीवों संबंधी प्ररूपणा |
9 धवला 12/4,2,7,199/102,104,110 |
ज.उ.वर्गणाओंमें दिये गये कर्म प्रदेशों संबंधी परस्थान प्ररूपणा |
4. प्रकृति बंध वेदना-
प्रमाण |
विषय |
1 षट्खंडागम 12/4,2,16/ सू.1-26/509-512 |
अष्टकर्म मूलोत्तर प्रकृतियोंके असंख्यात भेदों संबंधी परस्थान प्ररूपणा |
2 षट्खंडागम 13/5,5/ सू.124-132/384-387 |
चारों गति संबंधी आनुपूर्वी नाम कर्म प्रकृतिके भेदोंकी परस्थान प्ररूपणा |