अष्टाष्टम
From जैनकोष
सप्त-सप्तम के समान एक व्रत । इसमें प्रथम दिन उपवास करके उसके बाद अनुक्रम से एक-एक ग्रास बढ़ाते हुए और नवें दिन से आठ ग्रास घटाते हुए अंतिम दिन उपवास किया जाता है । इस व्रत में यह क्रिया आठ बार की जाती है । हरिवंशपुराण - 34.93-94