इंद्राणी
From जैनकोष
(1) वैजयंतपुर के राजा पृथिवीधर की रानी, वनमाला की जननी । पद्मपुराण - 34.11-15
(2) अलकारपुर के राजा सुकेश की रानी, माली, सुमाली और माल्यवान् की जननी । पद्मपुराण - 6.530-531
(3) इंद्र की शची । गर्भगृह में जाकर तीर्थंकरों की माता के पास मायामयी शिशु सुलाकर तीर्थंकरों को अभिषेक के लिए यही इंद्र को देती है । अभिषेक के पश्चात् तीर्थंकरों का प्रसाधन, विलेपन, अंजन संस्कार आदि करके यही जिनमाता के पास उन्हें सुलाती है । महापुराण 13.17-39,14.4-9, पद्मपुराण - 3.171-214